बदल गए गणतंत्र दिवस मनाने के मायने
रणजीत मिश्रा, ग्रेटर नोएडा बदलते समय के साथ राष्ट्रीय त्योहार गणतंत्र दिवस मनाने के भी मायने बदल
रणजीत मिश्रा, ग्रेटर नोएडा
बदलते समय के साथ राष्ट्रीय त्योहार गणतंत्र दिवस मनाने के भी मायने बदल गए हैं। करीब साठ वर्ष पूर्व कुछ बड़े स्कूलों व कालेजों में ही गणतंत्र दिवस का राष्ट्रीय त्योहार मनाया जाता था, लेकिन बदलते जमाने के परिदृश्य में गणतंत्र दिवस मनाने के तौर तरीकों में भी बदलाव आया है। बोड़ाकी गांव के 82 वर्षीय बुजुर्ग कालूराम भाटी ने बताया कि आजादी के जंग को उन्होंने बहुत करीब से देखा था। अंग्रेजों की हुकुमत से आजाद होने के कारण हम लोग स्वतंत्रता दिवस व गणतंत्र दिवस का राष्ट्रीय त्योहार मनाते हैं। जमाने के साथ राष्ट्रीय पर्व मनाने में धूम-धड़ाके का तड़का भी लगाया जाने लगा है, जबकि 1950 के दशक तक गणतंत्र दिवस पर कुछ बड़े स्कूलों के संचालकों द्वारा प्रभात फेरी निकाली जाती थी। सभी बच्चों को विशेष प्रकार का लिबास पहनाया जाता था, लेकिन आधुनिक युग में सबकुछ इंटरनेट व धूम-धड़ाके से लवरेज हो गया। आज का हर बच्चा गणतंत्र दिवस के बारे में जानकारी रखता है। आजकल के बच्चे महात्मा गांधी, सुभाषचंद्र बोस, चंद्रशेखर आजाद, खुदीराम बोस जैसे आजादी के दीवानों के बारे में काफी जानकारी रखते हैं। ये चीजें हमारे समय में नहीं थीं। उस समय लोग शिक्षा के बारे में भी ज्यादा जागरूक नहीं थे। आज के जमाने में सभी इंजीनियर व डाक्टर सहित बेहतर आफिसर बनना चाहता है। कालूराम भाटी ने 1951 में हाईस्कूल की पढ़ाई पूरी की थी। उनका एक बेटा धर्मेद्र भाटी बीएसएफ में कमांडेंट है, जबकि दूसरा बेटा मथुरा में पुलिस इंस्पेक्टर है। गणतंत्र दिवस के एक सप्ताह पहले से घर में देशभक्ति का माहौल बनने लगता है।
---दिल्ली बार्डर पर पीकेट चेकिंग होती है। सेक्टर की सुरक्षा कड़ी करने के लिए पुलिस गस्त और बढ़ाई जाएगी। वहीं आरडब्लूए के साथ बैठक कर सुरक्षा से संबंधित उनकी समस्या सुन निदान किया जाएगा।
डॉ अनूप सिंह, नगर क्षेत्राधिकारी तृतीय