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जयपुर में 13 में से एक बच्चा अस्थमा का शिकार

By Edited By: Published: Sat, 27 Sep 2014 12:18 AM (IST)Updated: Sat, 27 Sep 2014 12:15 AM (IST)
जयपुर में 13 में से एक बच्चा अस्थमा का शिकार

जयपुर, ब्यूरो। राजस्थान में बढ़ता प्रदूषण बच्चों में अस्थमा का रोग बढ़ा रहा है। जयपुर और इसके आसपास किए गए सर्वे में सामने आया है कि हर 13 में से एक बच्चा अस्थमा का शिकार है।

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जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल के शिशुरोग विशेषषज्ञ डॉ. भगवन सहाय शर्मा और एक निजी मेडिकल कॉलेज के डॉ. मुकेश गुप्ता द्वारा किया गया यह सर्वे हाल में इंडियन पीडियाट्रिक्स जर्नल में प्रकाशित हुआ है। सर्वे 5 से 15 वर्ष की आयु के 3321 बच्चों में किया गया है और सर्वे के परिणाम बताते हैं कि बच्चों में अस्थमा और एलर्जी की शिकायत लगातार बढ़ती जा रही है।

कम उम्र के बच्चे ज्यादा प्रभावित:

पांच से आठ वर्ष की आयु के आठ प्रतिशत बच्चों में अस्थमा की शिकायत पाई गई है, जबकि नौ से ग्यारह वषर्ष की आयु के बच्चों में यह करीब साढ़े सात प्रतिशत है और 15 वर्ष तक की आयु के बच्चों में 7.19 प्रतिशत है। यानी छोटी उम्र के बच्चे इससे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। स्कूल जा रहे बच्चों में लड़कों में इसकी शिकायत ज्यादा है। इस बीमारी की शिकायत से जहां 56 प्रतिशत लड़के परेशान मिले, वहीं लड़कियों का आंकड़ा 44 प्रतिशत था। ग्रामीण क्षेत्रों में इस बीमारी के शिकार सिर्फ साढ़े तीन प्रतिशत बच्चे मिले।

डॉक्टरों का कहना है कि वातावरण में प्रदूषण बढ़ता जा रहा है और स्कूल आने जाने वाले बच्चे जब ट्रैफिक में खुले ऑटो रिक्शा या साइकिल रिक्शा में आते-जाते हैं तो उन्हें यह प्रदूषण ज्यादा प्रभावित करता है। इसके अलावा मौसम बदलने पर भी बच्चों में अस्थमा की शिकायत बढ़ जाती है। इसके साथ बदलता खान पान और ठंडी चीजों का ज्यादा उपयोग भी अस्थमा का कारण बन रहा है।

थैलेसीमिया पीड़ित बच्चे को मिली नई जिंदगी:

जयपुर के सवाई मान सिंह अस्पताल के डॉक्टरों ने हाल में थैलेसीमिया से पीड़ित एक साल के बच्चे का सफल बोनमैरो ट्रांसप्लांट किया है। राजस्थान के किसी सरकारी अस्पताल में थैलेसीमिया पीड़ित बच्चे का यह पहला बोनमैरो ट्रांसप्लांट है। निजी क्षेत्र में इस पर करीब दस लाख का खर्च आता है, लेकिन सवाई मानिसंह अस्पताल में मुख्यमंत्री सहायता कोष के तहत यह पूरी तरह निशुल्क हुआ है और आगे भी निशुल्क किए जाएंगे। जयपुर के अजमेर रोड पर रहने वाल सात साल के देव को उसकी चचेरी बहन का बोनमैरो चढ़ाया गया है। अब दोनों का रक्त समूह एक हो गया है। अस्पताल की बोनमैरो ट्रांसप्लांट इकाई के प्रभारी डॉ संदीप जसूजा के अनुसार अब बच्चे हर 15 दिन में खून नहीं चढ़वाना पड़ेगा।


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