कांग्रेस ने राजस्थान सरकार के अस्तित्व पर उठाया सवाल
जयपुर, नरेंद्र शर्मा। राजस्थान विधानसभा में बजट सत्र के पहले दिन शुक्रवार को अध्यक्ष कैलाश मेघवाल ने चार सदस्यों के त्यागपत्र की सूचना दी तो हंगामा खड़ा हो गया, इन सदस्यों ने लोकसभा में चुने जाने के बाद इस्तीफा दिया था। सरकार पर अस्तित्व का सवाल खड़ा करते हुए नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी खड़े हो गए। बोलने लगे कि सरकार अस्तित्व में ही नहीं है। ऐसे सदन की कार्यवाही कैसे चल सकती है। क्योंकि आठ दिसंबर को चुनाव के नतीजे आने के बाद 13 दिसंबर को मुख्यमंत्री ने और 20 दिसंबर को सभी मंत्रियों के साथ सांवर लाल जाट ने मंत्री पद की शपथ ली। नियमों के अनुसार तब तक उन्होंने सदन में विधायक की शपथ नहीं ली थी, ऐसे में वे विधायक नहीं थे। यानी वे गैर विधायक मंत्री बने थे। संविधान की धारा 164 के तहत बिना विधायक कोई भी व्यक्ति मंत्री रह सकता है, लेकिन छह माह तक के लिए है। जाट मंत्री बनने के समय विधायक नहीं थे, लेकिन 21 जनवरी को उन्होंने शपथ ले ली। यानी छह माह के अंदर विधायक बन गए। वे लगातार मंत्री रह सकते थे, लेकिन उन्होंने 29 मई को ही विधायक पद से इस्तीफा दे दिया। ऐसे में अब भी वे गैर विधायक मंत्री है जबकि उनके गैर विधायक मंत्री बनने के बाद छह माह 20 जून को ही पूरे हो गए। ऐसे में उनके मंत्री पद की संवैधानिक स्थितियां 20 जून को ही समाप्त हो गई। इसका अर्थ यह है कि इस समय राज्य मंत्रिमंडल में केवल 11 मंत्री हैं जबकि संविधान की 164- के तहत 12 मंत्रियों से कम मंत्री नहीं हो सकते। चूंकि जाट 20 जून से मंत्री नहीं है, ऐसे में यह स्थिति संविधान का उल्लंघन है।
इस पर अध्यक्ष कैलाश मेघवाल ने कहा, यहां सरकार अस्तित्व में है। सरकार में 12 मंत्री है। मैं इस पर रूलिंग दे चुका हूं। यथा समय कार्यवाही होगी। इस पर अध्यक्ष की प्रतिपक्ष के सदस्यों के साथ तकरार भी हुई। सदन में राजस्थान विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष समरथलाल मीणा, आंध्रप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन जनार्दन रेड्ी, केंद्रीय मंत्री गोपीनाथ मुंडे, पूर्व विधायक भुवनेश चतुर्वेदी, गंगाराम चौधरी, रुपा राम डूडी, हीरालाल, लक्ष्मी कुमारी चूंडावत, बंसी लाल, रामावतार वर्मा समेत 13 जनों को श्रृद्धांजलि अर्पित की गई। इस दौरान हिमाचल प्रदेश में बांध का गेट खोल देने से बह गए स्कूली बच्चों के प्रति भी श्रृद्धांजलि अर्पित की गई और दो मिनट का मौन रखा गया।