Move to Jagran APP

कलेक्टरों को बचाने के मामले में घिरी सरकार

By Edited By: Published: Tue, 12 Mar 2013 11:14 PM (IST)Updated: Tue, 12 Mar 2013 11:17 PM (IST)
कलेक्टरों को बचाने के मामले में घिरी सरकार

जयपुर, जागरण संवाद केन्द्र। मनरेगा में खरीद घोटाले के आरोपी 5 जिला कलेक्टरों को बचाने के मामले में सरकार राजस्थान विधानसभा में विपक्ष के आरोपों से घिर गई। इससे जुड़े सवालों का ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री महेंद्रजीत सिंह मालवीय जवाब नहीं दे पाए और इससे पहले मुख्यमंत्री की ओर से दिए जवाब का ही हवाला देते रहे। इससे असंतुष्ट विधायकों ने पहले वेल में आकर प्रदर्शन और नारेबाजी की। बाद में इसके विरोध में बहिर्गमन किया।

loksabha election banner

इससे पहले भाजपा के सचेतक राजेन्द्र राठौड़ और सरकारी मुख्य सचेतक रघु शर्मा के बीच तीखी नोकझोंक हुई। भाजपा के प्रभुलाल सैनी के मूल सवाल पर हुई बहस के दौरान प्रतिपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद बनी कमेटी की रिपोर्ट में ही अनियमितता होने और उसमें दोषी रहे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए कहा गया था। उन्होंने सवाल किया कि परचेज हेड कौन है, अगर कलेक्टर ही हेड है तो फिर उनको बचाकर निचले कार्मिकों को क्यों फंसाया जा रहा है। अगर रिपोर्ट बनी है तो उस पर सिर्फ मुख्यमंत्री या सदन में घोषणा होने के कारण विधानसभा अध्यक्ष के हस्ताक्षरों से ही मामले की फाइल आगे बढ़ सकती है। इसके बावजूद अधिकारियों की रिपोर्ट का ही हवाला दिया जा रहा है।

सैनी ने कहा कि जब जनप्रतिनिधियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है तो फिर दोषी अधिकारियों के खिलाफ क्यों नहीं उन्होंने सवाल किया कि अगर कलेक्टरों को सिर्फ हिदायत देकर छोड़ दिया गया तो क्या सरपंचों और अन्य कार्मिकों को भी छोड़ा जाएगा। उन्होंने ग्रामीण विकास विभाग के पूर्व मंत्री की ओर से नोटशीट में अधिकारियों की कमेटी की रिपोर्ट से की गई असहमति की टिप्पणी का भी हवाला दिया। हंगामे के बीच माकपा के पेमाराम ने पहले बहिर्गमन किया बाद में भाजपा विधायकों ने किया। इस बहस के दौरान ग्रामीण विकास मंत्री ने कहा कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित जांच दल की रिपोर्ट के बाद सभी आरोपी अधिकारियों को कार्मिक विभाग की ओर से ऐसी अनियमितता की गलती दुबारा नहीं करने की हिदायत दे दी गई है। गौरतलब है कि सात जिलों के कलेक्टरों पर मनरेगा में खरीद में अनियमितता बरतने का आरोप लगा था। कमेटी ने पांच पर ही आरोपों को माना। इसमें से डूंगरपुर के तत्कालीन कलेक्टर आरुषी मलिक पर 85 लाख रुपये के कंप्यूटर और यूपीएस खरीद, करौली कलेक्टर नीरज के. पवन पर 51 लाख रुपये के पौधे खरीदने दौसा कलेक्टर जोगाराम पर 1,44,96,364 रुपये के कंप्यूटर्स, पालना और शिशु पालना खरीदने, टोंक कलेक्टर सुबीर कुमार पर 1,4098,000 रुपये के कंप्यूटर खरीदने और हनुमानगढ़ के तत्कालीन कलेक्टर नवीन जैन पर 79,21,767 रुपये के कंप्यूटर और प्रिंटर्स खरीद में अनियमितता पाई गई थी। इसमें गड़बडि़यों के आरोप लगे थे।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.