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करोड़ों खर्च, फिर भी नहीं हुई नहरों की मरम्मत

धर्मवीर सिंह मल्हार, तरनतारन : मानसून सिर पर है, हालांकि इससे कई माह पहले सरकार ने बाढ़ की संभावन

By Edited By: Published: Mon, 27 Jun 2016 09:59 PM (IST)Updated: Mon, 27 Jun 2016 09:59 PM (IST)
करोड़ों खर्च, फिर भी नहीं हुई नहरों की मरम्मत

धर्मवीर सिंह मल्हार, तरनतारन :

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मानसून सिर पर है, हालांकि इससे कई माह पहले सरकार ने बाढ़ की संभावना से जागते हुए करोड़ों की राशि नहरों की मरम्मत पर खर्च की थी, लेकिन तरनतारन में हालात ऐसे है कि नहरों और नहरी सुओं की मरम्मत ना होने से बाढ़ की मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है। विभाग के पास स्टाफ की कमी भी है, परंतु विभाग की कार्यगुजारी पर किसान संघर्ष कमेटी ने सवाल खड़े करते हुए नहरों व सुओं की मरम्मत पर खर्च हुई राशि की जांच करवाने को लेकर मुख्यमंत्री से मांग की है।

माधोपुर से खेमकरण को जाती नहर की बात करें तो वर्ष 1990 में इसकी साफ-सफाई व पटड़ियों की मरम्मत के लिए 85 बेलदार थे। बेलदारों की समय-समय पर सेवानिवृत्ति होती रही, लेकिन नई भर्ती ना होने के कारण अब बेलदारों की संख्या केवल चार है। गांव की नहर 2003 में टूटने से हजारों एकड़ फसल की बर्बाद हुई थी। जबकि इसके बाद 2013 में गांव शहाबपुरा के पास नहर टूटने से किसानों को बड़े स्तर पर नुकसान का सामना करना पड़ा। मौजूदा हालात की बात करें तो रसूलपुर नहर से निकलते नहरी सुए के किनारे 80 फीसद तक टूट चुके हैं।

क्षेत्र निवासी हरदयाल सिंह, कुलजीत सिंह, मंदीप सिंह, विजय कुमार, प्रताप सिंह, दलबीर सिंह ने दैनिक जागरण को बताया कि वर्ष 2013 में जब रसूलपुर की नहर टूटी थी तो मौके पर तत्कालीन सिंचाई मंत्री गुरचेत सिंह भुल्लर मुआयना करने आए थे और मामले की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए थे, लेकिन सरकार का यह फैसला हवा-हवाई ही साबित हुआ। गत दिवस पूर्व गांव जल्लेवाला में नहरी सुआ बुरी तरह से टूटने से 150 एकड़ से अधिक फसल प्रभावित हुई थी। वर्ष 2002 में माधोपुर से खेमकरण जाने वाली नहर की चार-चार फुट खुदाई की गई थी जिसके बाद इस नहर की ना तो मुरम्मत हुई और ना ही नहरी सुए की पटड़ियों की सही ढंग से संभाल की गई।

सिंचाई लिए पानी हो रहा चोरी

नहरी सुओं की गांवों में बदतर हालत के चलते किसानों द्वारा इनकी अपने तौर पर मुरम्मत करवाई जाती रही है। गांव जंडोके, पिद्दी, मानोचाहल माइनर में आते नहरी सुओं की मुरम्मत गांवों की पंचायतों द्वारा मनरेगा स्कीम के तहत करवाने के मामले आम हो चुके हैं। सूत्रों की मानें तो कई किसान नहरी सुओं में अंडरग्राउंड प्लास्टिक के पाइप लगाकर सिंचाई के लिए नहरी पानी भी चोरी करते है।

विभाग द्वारा बारीकी से जांच करवाई जा रही है : मोखा

नहरी विभाग एक्सईएन तेजिंदर मोखा से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि नहरों की मुरम्मत के अलावा सुओं की पटड़ियों की व्यवस्था पर विभाग की पूरी नजर है। उन्होंने कहा कि सुओं की पटड़ियों में जो दरार पड़ने की शिकायतें मिल रही है उनकी विभाग द्वारा बारीकी से जांच करवाई जा रही है।

सरकार से राशि जारी को ईमानदारी से किया जाता खर्च : एडीसी

जिले के एडीसी (जनरल) बख्तावर सिंह का कहना है कि जिला प्रशासन द्वारा बाढ़ की संभावना के मद्देनजर हर वर्ष जिला हेडक्वार्टर पर कंट्रोल रूम स्थापित किया जाता है जबकि तहसील स्तर पर भी पूरे प्रबंध होते हैं।

मुख्यमंत्री तुरंत दखल देकर

मामले की जांच करवाएं : पन्नू

किसान संघर्ष कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष सतनाम सिंह पन्नू ने कहा कि जिले में नहरों की ना ही खुदाई की गई है और ना ही नहरी सुओं की पटड़ियों को मुरम्मत की गई है। सरकार द्वारा जो ग्रांटें जारी की गई हैं उनमें बड़े स्तर पर घोटाले की आशंका है। इस मामले में मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को तुरंत दखल देकर मामले की जांच करवानी चाहिए है।


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