आवारा कुत्तों से निपटने को नहीं कोई योजना
जागरण संवाददाता, संगरूर : शहर हो या गांव। गली हो या मोहल्ला। हर जगह पर आवारा कुत्तों
जागरण संवाददाता, संगरूर : शहर हो या गांव। गली हो या मोहल्ला। हर जगह पर आवारा कुत्तों की भरमार है। आवारा कुत्ते हर दिन किसी न किसी मासूम या बुजुर्ग को अपना शिकार बना रहे हैं, लेकिन इनकी बढ़ती तादाद से निपटने के लिए प्रशासन के पास कोई ठोस योजना नही है। स्टाफ की कमी से जूझ रही नगर कौंसिल व नगर पंचायतें इन कुत्तों को काबू नहीं कर पा रही है। वहीं आर्थिक तंगी से जूझ रही नगर कौंसिल संगरूर के पास कुत्तों के लिए कोई अतिरिक्त बजट नहीं है। लिहाजा कुत्तों की बढ़ती तादाद लोगों के लिए खतरा बनती जा रही है और प्रशासन मूक दर्शक बनकर तमाशा देख रहा है।
उल्लेखनीय है कि जिले भर में आवारा कुत्तों की तादाद का आंकड़ा बहुत बड़ा है, लेकिन इनकी समस्या से निपटने के लिए कोई ठोस नीति नहीं है। शहरों में नगर कौंसिल व गांवों में नगर पंचायत ही कुत्तों को काबू करके इनकी नसबंदी करवाती है, लेकिन नगर कौंसिल के पास स्टाफ की कमी है, वहीं कुत्तों की संख्या बेहद अधिक है, जिस कारण इन कुत्तों को काबू नहीं किया जा रहा। पशु पालन विभाग उनके पास लाए गए कुत्तों की नसबंदी करने को तैयार है, लेकिन कुत्तों को पकड़ने में विभाग ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं। आर्थिक तंगी से गुजर रही नगर कौंसिल के पास कुत्तों के लिए कोई अलग बजट नहीं है। कहा जाए तो पिछले एक वर्ष में नगर कौंसिल ने कुत्तों की कोई नसबंदी नहीं करवाई है। स्टाफ व फंड की कमी ही कुत्तों की बढ़ती तादाद पर अंकुश लगाने में सबसे बड़ी रुकावट है।
पशुपालन विभाग करेगा कौंसिल को सहयोग : डॉ. सुखचरणजीत
डिप्टी डायरेक्टर पशु पालन विभाग डॉ. सुखचरणजीत ¨सह से बात करने पर उन्होंने कहा कि पशु पालन विभाग कुत्तों की नसबंदी करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। नगर कौंसिल व नगर पंचायत अगर कुत्तों को पकड़कर लाएं तो कुत्तों की नसबंदी में विभाग पूरा सहयोग देगा। इसके अलावा कुत्तों की तादाद को बढ़ने से रोकने का कोई विकल्प नहीं है।