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विरासती वॉक से किए संगरूर की विरासत के दर्शन

जागरण संवाददाता, संगरूर : पंजाब सरकार संगरूर की विरासती इमारतों की संभाल के लिए पूरी त

By JagranEdited By: Published: Sat, 25 Nov 2017 07:42 PM (IST)Updated: Sat, 25 Nov 2017 07:42 PM (IST)
विरासती वॉक से किए संगरूर की विरासत के दर्शन
विरासती वॉक से किए संगरूर की विरासत के दर्शन

जागरण संवाददाता, संगरूर :

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पंजाब सरकार संगरूर की विरासती इमारतों की संभाल के लिए पूरी तरह से प्रयत्‍‌नशील है। बच्चों व नौजवान पीढ़ी को अपने विरसे से जोड़ने के लिए उचित यत्न किए जा रहे हैं। यह विचार हलका विधायक विजय इंद्र ¨सगला ने शनिवार को स्थानीय 150 वर्ष पुराने एतिहासिक घंटा घर से विरासती वॉक का रस्मी उद्घाटन करते हुए पेश किए।

इस मौके पर ¨सगला ने कहा कि लोगों को ऐतिहासिक स्थानों की अहमियत से रूबरू करवाने वह हमेशा से ही प्रयास करते आ रहे हैं, भविष्य में भी संगरूर को सैर सपाटा के बेहतरीन केंद्र के तौर पर विकसित करने के लिए कदम उठाएंगे। इसके उपरांत बनासर बाग में डिप्टी कमिश्नर अमर प्रताप ¨सह विर्क विरासती सफर में शामिल हुए। संगरूर हेरीटेज संरक्षण सोसायटी के प्रबंधकों द्वारा जीजीएस स्कूल में आरंभ किए गए दो दिवसीय बाल साहित्य मेला व विरासती समागम का शुभारंभ किया गया। इस दौरान विभिन्न स्कूलों के विद्यार्थियों के अलावा देश-विदेश से विद्वान, साहित्यकारों, गायकों व अन्य कला प्रेमियों ने हिस्सा लिया। घंटा घर के विरासती सफर का आगाज करते हुए विजय इंद्र ¨सगला ने कहा कि घंटा घर की आवाज को वापस लेने के लिए ठोस प्रयास किए जाएंगे। संगरूर के महत्वपूर्ण विरासती इतिहास को सभी के सामने लाने के लिए कोशिश अवश्य करेंगे। घंटा घर से आरंभ हुई यह वॉक लंबे काफिले के रूप में दीवानखाना, बनासर बाग, बारादरी में पहुंच कर संपन्न हुई। इस दौरान बिक्रमजीत ¨सह राय, एलीजाबेंथ जे ¨सह, शांतरी गो¨बदा, शीखा, मोहन शर्मा, चरणजीत ¨सह भंडारी सहित अन्य लेखक, साहित्यकार, गीतकार आदि शामिल हुए।

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घंटा घर की संभाल करने वाला परिवार सम्मानित:-

वर्ष 1857 में जब से घंटा घर का निर्माण हुआ है, तब से ही संगरूर का आहलुवालिया परिवार घंटा घर की संभाल में जुटा है। मौजूदा समय में घंटा घर की देखरेख कर रहे संपत राय आहलुवालिया को विजय इंद्र ¨सगला से इस अवसर पर सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि आहलुवालिया परिवार ने पीढ़ी दर पीढ़ी इस ऐतिहासिक घंटा घर की संभाल की है। उनकी बदौलत ही आज यह घंटा घर चालू हालत में है और नौजवान पीढ़ी को अपने ऐतिहासिक कला के नुमने देखने को मिला रहा है। संपत राय के स्वर्गीय चाचा माधो राम आहुवालिया ने भी कई दशकों तक इस घंटा घर को अपनी ¨जदगी का कीमती समय दिया। संपत राय आहलुवालिया ने कहा कि वह व उऩका परिवार हमेशा इस घंटा घर के कांटे की भांति इसका साथ निभाते रहेंगे।


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