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रैन बसेरा नहीं हो रहा गुलजार, सड़क पर सा ेरहे लोग

मनदीप कुमार, संगरूर : लाखों रुपये की लागत से शहर से बाहर फायरब्रिगेड केंद्र के साथ बनाया गया बेसह

By JagranEdited By: Published: Sun, 25 Jun 2017 05:56 PM (IST)Updated: Sun, 25 Jun 2017 05:56 PM (IST)
रैन बसेरा नहीं हो रहा गुलजार, सड़क पर सा ेरहे लोग
रैन बसेरा नहीं हो रहा गुलजार, सड़क पर सा ेरहे लोग

मनदीप कुमार, संगरूर :

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लाखों रुपये की लागत से शहर से बाहर फायरब्रिगेड केंद्र के साथ बनाया गया बेसहारा लोगों के लिए रैन बसेरा नगर कौंसिल व प्रशासन की अनदेखी कारण केवल सफेद हाथी साबित हो रहा है। इमारत का निर्माण बेशक छह माह पहले संपन्न हो चुका है, लेकिन अभी तक किसी भी बेसहारा ने इस रैन बसेरे में रात नहीं गुजारी। सीधे शब्दों में कहा जाए तो रैन बसेरे पर खर्च किए लाखों रुपये व्यर्थ ही साबित हो रहे हैं, क्योंकि नगर कौंसिल या प्रशासन ने कभी भी शहर के बेसहारा लोगों को इस रैन बसैरे तक लाने या इसकी जानकारी देने के लिए प्रबंध नहीं किया, जिस कारण मजबूरन बेसहारा लोग रात सड़कों या अन्य जगहों पर ही गुजारे को मजबूर हैं।

उल्लेखनीय है कि बेसहारा व बेघर लोगों के लिए सर्दी व गर्मी के मौसम में रात गुजरने के लिए सड़क के किनारे ही सोना पड़ता है। बेघरों की इस समस्या के हल के लिए नगर कौंसिल ने लाखों रुपये की राशि खर्च कर शहर से दूर उप्पली रोड पर फायर ब्रिगेड केंद्र के साथ मौजूद जगह पर पक्के रैन बसेरा का निर्माण करवाया। पूर्व विधायक बाबू प्रकाश चंद गर्ग ने इस रैन बसेरा का निर्माण करवाने को सरकार से ग्रांट मुहैया करवाई। ग्रांट की मदद से रैन बसेरा की इमारत का निर्माण करवाया, जहां पर महिलाओं व पुरुषों के लिए अलग-अलग कमरे बनाए गए हैं। यहां पर कमरे, शौचालय, बाथरूम, रसोई घर का प्रबंध किया गया। साथ ही नहाने के लिए ठंडे व गर्म पानी का भी इंतजाम किया गया। बेसहारा को जमीन पर न सोना पड़े इसके लिए बिस्तर व चारपाईयां भी बैन बसेरा में रखी गई है, ¨कतु आज तक किसी भी बेसहारा बेघर ने इस रैन बसेरा में रात नहीं गुजारी।

जानकारी का अभाव, बेघर लोग रैन बसेरा से बेखबर

नगर कौंसिल ने बेशक लाखों रुपये रैन बसेरा की इमारत व अन्य प्रबंधों पर खर्च कर दिया है, लेकिन सड़कों पर घूमने वाले बेसहारा बेघर लोगों को इसकी जानकारी देने के लिए कोई प्रबंध नहीं है। शहर से दूर होने के कारण अधिकतर लोगों को इसकी जानकारी ही नहीं है। विभागीय आंकड़ों के अनुसार शहर में ऐसे बेघरों की संख्या करीब 35 से अधिक है, लेकिन यह बेघर व्यक्ति रात को सड़कों किनारे, शहर के बनासर बाग, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन पर सोने को मजबूर हैं। शहर में इस संबंधी अनाउंसमेंट न होने कारण जरूरतमंद व्यक्ति इसकी जानकारी से अंजान हैं।

सुरक्षा के लिए नहीं लगा मुख्य गेट

रैन बसेरा में बेसहारा लोगों के लिए बेशक शानदार कमरों सहित चारपाई व बिस्तर का प्रबंध है, लेकिन गर्मी से बचने के लिए अभी तक पंखे नहीं लगाए गए हैं। साथ ही रैन बसेरा की चारदीवारी बनकर तैयार हो गया है, लेकिन यहां पर मुख्य गेट नहीं लगाया गया है। इमारत के दरवाजों पर ताले लटक रहे हैं, जिसकी चाबी भी रैन बसेरा के साथ लगते फायरब्रिगेड के स्टाफ के पास मौजूद है। स्टाफ का कहना है कि आज तक कभी कोई व्यक्ति यहां शरण लेने के लिए नहीं आया है।

जल्द रैन बसेरे का दौरा करके करवाएंगे चालू

नगर कौंसिल के कार्यकारी अफसर अमृत लाल से बात करने पर उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले ही उन्होंने कार्यभार संभाला है, जिस कारण उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। जल्द ही वह रैन बसेरा का दौरा करके प्रबंधों का जायजा लेंगे। कमियों को जल्द पूरा करके यहां पर बेघर लोगों को रात गुजारने का प्रबंध किया जाएगा।


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