अकाली दल ने संभाला मोर्चा, अब कांग्रेस की बारी
सचिन धनजस, धूरी (संगरूर) धूरी उपचुनाव को लेकर राजनीतिक अखाड़ा गर्माने लगा है। शुक्रवार को शिअद प्र
सचिन धनजस, धूरी (संगरूर)
धूरी उपचुनाव को लेकर राजनीतिक अखाड़ा गर्माने लगा है। शुक्रवार को शिअद प्रधान एवं उपमुख्यमंत्री सुखबीर ¨सह बादल ने अपने मंत्रिमंडल के साथ धूरी चुनाव की कमान संभाल ली है। आगामी विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल समझे जाने वाले धूरी उपचुनाव से वर्तमान में कांग्रेस नेतृत्व राजनीतिक दृष्य से अभी तक गायब ही दिख रही है। हालात ऐसे हैं कि उपचुनाव के लिए कांग्रेस टिकट के इच्छुक स्थानीय नेता भी चुनाव अभियान में दिखाई नहीं दे रहे हैं।
धूरी में उपचुनाव चाहे 11 अप्रैल को होने जा रहे हैं, परंतु धूरी में उम्मीदवारों द्वारा नामांकन दाखिल करने के बाद चुनाव सरगर्मियां नाममात्र ही नजर आ रही हैं। विशेष तौर पर कांग्रेस का चुनाव प्रचार खासा सुस्त दिखाई दे रहा है। नामांकन के दिन कांग्रेस नेतृत्व का जमावड़ा देखकर ऐसा लगा था कि चुनाव ऐतिहासिक होने वाले हैं। मगर, वर्तमान में बरनाला परिवार के लिए वरिष्ठ नेतृत्व मुंगेरीलाल के सपने जैसी लग रहे हैं।
उपचुनाव में कांग्रेस के सांझे मोर्चे ने तीन बार विधायक रह चुके शिअद (ब) के उम्मीदवार भाई गो¨बद ¨सह लौंगोवाल के आगे युवा चेहरा सिमरप्रताप ¨सह बरनाला को चुनाव मैदान में उतारकर जहां स्थानीय कांग्रेस नेताओं में रोष पैदा कर दिया है, वहीं कांग्रेस के चुनाव प्रचार में बडे़ सियासी नेताओं की कमी चुनाव को दिलचस्प मोड़ से दूर कर रही है। बेशक, कांग्रेस के नेताओं द्वारा सिमरप्रताप बरनाला के कागज भरवाते समय कांग्रेस की एकजुटता के दावे किए गए थे, परंतु चुनाव प्रचार में कांग्रेस की आपसी धड़ेबंदी साफ दिखाई देने लगी है।
धूरी से दो बार विधायक रह चुके वरिष्ठ कांग्रेस नेता धनवंत ¨सह, वरिष्ठ युवा नेता दलवीर ¨सह गोल्डी, अमृत बराड़, संदीप ¨सगला द्वारा चुनाव प्रचार में कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई जा रही है। उधर, शुक्रवार तक ठंडा पड़ा अकाली दल का चुनाव प्रचार एकाएक अकाली लीडरशिप के पहुंचने से गर्मा गया है। हालांकि, अब जनता कांग्रेस के दिग्गजों के दर्शन के इंतजार में है।
उधर, शिअद (अ) के उम्मीदवार सुरजीत ¨सह कालाबूला गुपचुप तरीके से कांग्रेस व अकालियों से नाराज नेताओं व कार्यकर्ताओं से बैठक कर उनका समर्थन प्राप्त करने में जुटे हैं।