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सतलुज झील के तट पर दिखा गंगा घाट जैसा नजारा

14 एनजीएल 05, 06 - सुबह से ही किश्ती में बैठे मलाह को तिलक लगा कर लोगों ने किया दान - लोगों ने

By Edited By: Published: Sat, 14 Jan 2017 05:45 PM (IST)Updated: Sat, 14 Jan 2017 05:45 PM (IST)
सतलुज झील के तट पर दिखा गंगा घाट जैसा नजारा
सतलुज झील के तट पर दिखा गंगा घाट जैसा नजारा

14 एनजीएल 05, 06

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- सुबह से ही किश्ती में बैठे मलाह को तिलक लगा कर लोगों ने किया दान

- लोगों ने पूजा अर्चना कर की लोक कल्याण की कामना

जागरण संवाददाता, नंगल

मकर संक्रांति पर्व पर शनिवार को समूचे इलाके में लोगों ने दिनभर जगह-जगह प्रसाद बांटकर व पूजा अर्चना करते हुए लोक कल्याण की कामना की। सतलुज झील के घाट पर भारी संख्या में पहुंचे भक्तों से यहां गंगा घाट जैसा नजारा दिख रहा था। भक्तिमय वातावरण तथा श्रद्धा व उल्लास से संपन्न हुए मकर संक्रांति पर्व पर इलाके में कड़ाके की ठंड के बावजूद प्रात: से ही विभोर साहिब के निकट सतलुज झील के घाट पर तथा दरिया के किनारे विभिन्न स्थानों पर लोगों ने पूजा अर्चना व दान करके दरिया में स्नान किया। इस पर्व पर दान पुण्य के विशेष महत्व के मद्देनजर भारी संख्या में लोगों ने पुरानी परंपराओं के अनुसार विभोर साहिब के घाट व नंगल में बैसाखी ग्राउंड के साथ झील किनारे किश्तियों में बैठे मलाहों को तिलक लगाने के लिए भक्तों का सैलाब उमड़ा रहा। भक्तजनों ने स्नान करके सूर्य देव को अ‌र्घ्य दिया।

शुभ माना जाता है मकर संक्रांति के दिन सतलुज में स्नान

शिवालिक पहाड़ियों की गोद में मानसरोवर से पहुंचने वाले सतलुज दरिया के तटवर्ती गांव हंडोला में स्थित प्राचीन ब्रह्महुति मंदिर में स्नान करना शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यहां गहरे पानी के बीच ढाई पोड़ियां सोने की प्राचीन समय से ही मौजूद हैं। सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा जी ने यहां लंबे समय तक घोर तपस्या की थी। द्वापर युग में पांडवों ने अपने वनवास के अज्ञात काल समय यहां आकर धार्मिक कार्यक्रम का अनुष्ठान किया। जैसे ही पांडवों ने यहां इस स्थल को हरिद्वार जैसा महान तीर्थ बनाने के लिए पूजा अर्चना शुरू की तभी प्रात: ढाई-तीन बजे के करीब पानी की आटा चक्कियों के चलने की आवाज सुनाई दी जिसे सुनते ही पांडव पूजा अनुष्ठान का कार्य बीच में ही छोड़ कर चल दिए, जिससे यहां पांच पोड़ियां की बजाए ढाई पोड़ियां ही बन पाई। इन पोड़ियों के कारण इस मंदिर को आज मिन्नी हरिद्वार के नाम से जाना जाता है। इसी कारण से यहां इलाके में मकर संक्रांति व वैसाखी पर लोग सतलुज में स्नान करने को महाकुंभ में स्नान करने के समान ही समझते हैं।

सैलाब के रूप में पहुंचे हुए थे दान व स्नान के लिए लोग

विभोर साहिब स्थित सतलुज झील के घाट पर स्नान दान के विशेष महत्व को जानने वाले लोग ठंड के बावजूद दूर-दराज से जुगाड़ जुटा कर यहां प्रात: ही पहुंच गए थे। छत्तरपुर दिल्ली से आए संजीव कुमार तथा पानीपत के कमलेश राम ने बताया कि वे प्रति वर्ष यहां घाट पर स्नान करके ही नव वर्ष के योजनाबद्ध कार्यो के सफल होने की कामना करने आते हैं। वहीं चंडीगढ़ से अशोक कौशल व सुरजीत राम ने बताया कि वे अपने पूर्वजों के समय से ही यहां आकर स्नान के बाद दान-पुण्य करते हैं। मछलियों को आटा डालने व अन्य प्रकार के दान करने में जुटे भक्तजनों की ओर से की गई पूजा अर्चना व आस्था का वातावरण देखते ही बन रहा था।


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