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जज्बे को सलाम, दिन-रात एक कर तैयार किया लकड़ी का पुल

सुभाष शर्मा, नंगल नंगल उपमंडल से गुजरते सतलुज दरिया पर ब्रह्मपुर के निकट ग्रामीणों की ओर से बनाए ग

By JagranEdited By: Published: Sat, 25 Feb 2017 06:59 PM (IST)Updated: Sat, 25 Feb 2017 06:59 PM (IST)
जज्बे को सलाम, दिन-रात एक कर तैयार किया लकड़ी का पुल
जज्बे को सलाम, दिन-रात एक कर तैयार किया लकड़ी का पुल

सुभाष शर्मा, नंगल

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नंगल उपमंडल से गुजरते सतलुज दरिया पर ब्रह्मपुर के निकट ग्रामीणों की ओर से बनाए गए लकड़ी के जुगाड़नुमा पुल गत 8 फरवरी को गिरने के बाद से दिन-रात पुल बनाने में जुटे ग्रामीणों की मेहनत परवान चढ़ गई है। फिर से सतलुज पर पुल बनाने का काम लगभग पूरा हो चुका है। उम्मीद है कि इस सप्ताह ही पुल के ऊपर से आवागमन शुरू हो जाएगा। इसे ग्रामीणों का जज्बा ही कहा जा सकता है कि बिना किसी सरकारी सहायता से खुद कार सेवा से ही दोबारा पुल तैयार कर दिया गया है। दिन-रात लगभग काम करने वाले 100 ग्रामीणों ने खुद तथा दानी सज्जनों के माध्यम से चंदा एकत्रित करके लोहे के नए रस्से फिट करके पुल तैयार किया है। पुल गिर जाने के चलते दो दिन तक गांव के बच्चे व महिलाएं सतलुज के पानी से जोखिम उठा कर गुजरते रहे। लेकिन उसी वक्त पहल के आधार पर पहले तो सतलुज के मध्य पाइप डालकर चलने योग्य अस्थाई रास्ता बनाया गया। इसके बाद लकड़ी का पुल बनाने का काम तेजी से शुरू किया गया। मात्र 17 दिनों में ही लकड़ी का पुल खड़ा कर दिया गया है।

20 गांवों के लोग निर्भर हैं पुल पर

सतलुज से घिरे करीब 20 गांवों के लोगों का जीवन लकड़ी के चार पुलों पर निर्भर हैं। गांव बेला ध्यानी के सरपंच प्रेम सिंह, बाबा रणजीत सिंह, डा. राजेंद्र सिंह बताते हैं कि बेला ध्यानी-मोजोवाल से लेकर भलाण गांव तक के बेला क्षेत्र में रहने वाले लोग ऐसे जुगाड़नुमा पुलों पर ही निर्भर हैं। बरसात के दिनों में तो खतरा और ज्यादा बढ़ जाता है। पुल बनाने के लिए समाज सेवकों ने काफी मदद की है। शुक्रवार को हाई कोर्ट के एडवोकेट एचसी अरोड़ा ने मौके पर पहुंच कर 21 हजार रुपए की आर्थिक सहायता पुल बनाने के लिए प्रदान की है। सरकार की तरफ से अभी तक एक भी पैसा नहीं मिला है। मात्र सीमेंट के पाईप देकर ही प्रशासन ने जिम्मेदारी पूरी की है। दिन-रात गांव वासियों के प्रयासों से ही दोबारा पुल बनाया जा सका है।

खर्च हो चुके हैं 8 लाख

लकड़ी के पुल को दोबारा बनाने के लिए अब तक करीब 8 लाख की धन राशि खर्च हो चुकी है। अभी लकड़ी के फट्टे डालना शेष है जिस पर दो लाख का खर्च आने की संभावना है। बाबा रणजीत सिंह ने बताया कि गले फट्टों को बदलना जरूरी है, क्योंकि आगे बरसात के मौसम में पुल को पूरी तरह से ठीक करना अनिवार्य है।

घायलों को भी नहीं मिली है कोई सरकारी सहायता

आठ फरवरी बुधवार को सुबह साढ़े 9 बजे लकड़ी का पुल गिर गया था। उस समय पुल से गुजर रहे दर्जन भर लोगों में से आठ लोग दरिया में गिर जाने से चोटिल हुए थे। अब भी एक ग्रामीण महिला पीजीआई में उपचाराधीन है। उस महिला पर लकड़ी के फट्टे गिर गए थे। पूजा अर्चना के लिए जा रहे दुल्हा-दुल्हन व उनके साथ अन्य लोग तेजो देवी, परमजीत सिंह, सुनील कुमार, अमरजीत सिंह, राम प्रकाश, राम प्रसाद, कमलजीत घायल हुए थे। इन घायलों को भी अभी तक सरकार की तरफ से कोई आर्थिक सहायता नहीं मिली है।


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