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पंजाब के विकास में अहम योगदान दे रहा रूपनगर का थर्मल प्लांट

By Edited By: Published: Tue, 25 Sep 2012 05:53 PM (IST)Updated: Tue, 25 Sep 2012 05:54 PM (IST)
पंजाब के विकास में अहम योगदान दे रहा रूपनगर का थर्मल प्लांट

अरुण कुमार पुरी, रूपनगर :

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वर्ष 1963 की 22 अक्टूबर वाले दिन देश का गौरव माने जाते भाखड़ा डैम का उद्घाटन कर प्रथम प्रधान मंत्री प. जवाहर लाल नेहरू ने हर घर को रोशनी देने का सपना देखा था, लेकिन बिजली की बढ़ती मांग के चलते एक समय ऐसा भी आ गया जब पंजाब के अंदर बिजली का संकट गहराने लगा। इस संकट को दूर कर पाना पंजाब सरकार के लिए टेढ़ी खीर बन गया। क्योंकि पंजाब को निर्धारित कोटे से अधिक बिजली मिल पाना मुश्किल था, जबकि मांग पूरी न होने के कारण राज्य से उद्योगों के पलायन का खतरा मंडराने लगा था। संकट को दूर करने के लिए काफी गहनता के साथ विचार हुआ तथा वर्ष 1980 मे राज्यपाल शासन के दौरान रूपनगर को थर्मल प्लांट लगाने के लिए चुना गया। इसकी आधार शिला तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने रखी। इसके बाद जून 1980 में दरबारा सिंह के नेतृत्व वाली पंजाब की कांग्रेस सरकार ने इस अहम प्रोजेक्ट को पूरी गति प्रदान की। जबकि 26 सितंबर 1984 वाले दिन पंजाब ने पावर के क्षेत्र में नया इतिहास रचते हुए रूपनगर के घनौली क्षेत्र में बनाए गए थर्मल प्लांट के पहले यूनिट को चालू करते हुए 210 मेगावाट बिजली उत्पादन शुरू कर दिया। इस थर्मल प्लांट को श्री गुरू गोबिंद सिंह सुपर थर्मल प्लांट का नाम दिया गया। उस वक्त नए बने थर्मल प्लांट के पहले चीफ इंजीनियर एसएस निंद्रा थे। इसके बाद 29 मार्च 1985 को दूसरा यूनिट, 31 मार्च 1988 को तीसरा यूनिट, 29 जनवरी 1989 को चौथा यूनिट, 29 जनवरी 1992 को पांचवां यूनिट जबकि 29 मार्च 1992 को अंतिम यूनिट चालू कर दिया गया। इस पूरे प्रोजेक्ट पर उस समय 1347 करोड़ की लागत आई थी। कुल 2050 एकड़ क्षेत्रफल में बना यह प्लांट 210 एकड़ में लगा है जबकि 533 एकड़ मे कोल प्लांट, 65 एकड़ में रेलवे, 750 एकड़ में ऐश (राख) डिस्पोजल, 340 एकड़ में प्लांट में काम करने वालों की कालोनी, 50 एकड़ मे वर्कशाप, 100 एकड़ में सीवरेज व वाटर ट्रीटमेंट प्लांट तथा शेष क्षेत्र मे पार्क, जंगल व सड़कें आदि बनी हैं। आज इस प्लांट लगे लगे कुल छ: यूनिटों से 1260 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है। इस प्लांट को चालू रखने के लिए रोजाना 21 हजार टन कोयले की जरूरत होती है, जोकि बिहार व उड़ीसा आता है। प्लांट में हर समय एक माह का कोयला स्टोर कर रखा जाता है। ताकि अगर कोयले की सप्लाई में कोई कमी आए तो प्लांट को चालू रखा जा सके। इस प्लांट को पानी की आपूर्ति नंगल डैम से निकाली गई भाखड़ा मेन लाईन से की जा रही है। प्लांट को रोजाना 750 क्यूसिक पानी की जरूरत होती है। पिछले 28 वर्षो के लम्बे समय के दौरान उक्त थर्मल प्लांट 35 हजार करोड़ लाख यूनिट बिजली का उत्पादन करता हुआ राज्य की तरक्की में अपना योगदान दे चुका है।

बाक्स के लिए ----

पंजाब में कई सरकारें आई और चली गई, लेकिन उन लोगों को आज तक 24 घण्टे बिजली सप्लाई की सुविधा नहीं मिल सकी जिन्होंने अपनी जमीनें इस थर्मल प्लांट के लिए उस वक्त सरकार को दी थी। थर्मल प्लांट के नजदीक पड़ते दर्जन भर गांव आज भी उक्त सुविधा का नियमानुसार अधिकार पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं तथा थर्मल प्लांट से उठने वाले प्रदूषण को भी झेल रहे हैं। ठीक ऐसी ही दशा मात्र आठ किलोमीटर दूर बसे रूपनगर शहर की भी बनी हुई है।

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