गुरुतागद्दी दिवस समागम की शुरूआत, फुला ¨सह ने की अरदास
संवाद सूत्र, कीरतपुर साहिब श्री गुरु हरराय साहिब जी के गुरतागद्दी दिवस को विश्व वातावरण दिवस के त
संवाद सूत्र, कीरतपुर साहिब
श्री गुरु हरराय साहिब जी के गुरतागद्दी दिवस को विश्व वातावरण दिवस के तौर पर मनाने की तैयारियां को लेकर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी तत्पर है। समागम की शुरुआत तख्त श्री केसगढ़ साहिब के हैड ग्रंथी फुला ¨सह ने अरदास करके की।जिसके भोग 26 मार्च को मुख्य समागम वाले दिन डाले जाएंगे।इस मौके एसजीपीसी के महासचिव अमरजीत ¨सह चावला, तख्त साहिब के मैनेजर रेशम ¨सह संधू, मन¨जदर ¨सह बराड़, बाबा कश्मीरा ¨सह अमृतसर भूरी वाले, बाबा काला ¨सह, अमरजीत ¨सह ¨जदवड़ी इंचार्ज गुरुद्वारा पातालपुरी, संदीप ¨सह कलोता सुपरवाइजर, त¨जदर ¨सह पप्पू, जरनैल ¨सह ग्रंथी, सु¨रदर ¨सह ¨भदर, भु¨पदर ¨सह भारज, भु¨पदर ¨सह और हरदेव ¨सह सूचना अफसर, राम स्वरूप इंचार्ज, अजायब ¨सह, जेई बल¨जदर ¨सह आदि उपस्थित थे।
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समागम के बारे में चावला एवं तख्त साहिब के मैनेजर रेशम ¨सह संधू ने बताया कि कमेटी के प्रधान प्रो.कृपाल ¨सह बडूंगर के दिशानिर्देशों अनुसार सभी प्रबंध कर लिए गए हैं। 26 मार्च को श्री दरबार साहिब श्री अमृतसर के कीर्तनी जत्थे संगत को निहाल करेंगे। रागी जत्थे भी हाजरी भरेंगे। नौ लक्खा बाग के नजदीक मनमोहक टैंट लगाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि समागम के बाद भी नौ लक्खा बाग की सेवा संभाल इसी तरह चलती रहेगी और इसको विश्व का अलग किस्म का बाग बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। गुरुद्वारा साहिब की इमारत को रंग रोगन करके सजाया और संवारा जा रहा है। नौ लक्खा बाग और गुरुद्वारा साहिब के इतिहास बारे जानकारी देने वाले बोर्ड नए लगाए गए हैं। बाग में लगे फ्व्वारे चालू किया जा रहा है। फूल पौधों के आसपास रंग रोगन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि समागम में वातावरण प्रेमी संत बलबीर ¨सह सींचेवाल, बाबा सेवा ¨सह खडूर साहिब, बाबा अवतार ¨सह, समूह एसजीपीसी सदस्य, निदेशक धर¨मदर ¨सह और पंजाब के वातावरण प्रेमी इको ग्रुप वाले शामिल होंगे।
दो गुरु साहिबान का जन्म स्थान है कीरतपुर साहब
गुरुद्वारा शीशमहल साहिब में सातवें पातशाह श्री गुरू हरि राय साहिब और आठवें श्री गुरू हरि कृष्ण साहिब जी का जन्म हुआ था। गुरुद्वारा हरि मंदिर साहिब के नजदीक जो नौ लक्खा बाग है वह छठे साहिब श्री गुरु हर गो¨बद साहिब जी द्वारा लगाया गया था। जिसके बाद सातवें गुरू हरि राय साहिब ने विस्तार करते हुए इसमें कई प्रकार के देसी दवाइओं के बूटे तथा पेड़ पौधे लगाए थे।इन देसी दवाइयों से वह बीमार दीन दुखियों का इलाज करते थे।