स्टेट बनाम एसके शर्मा हाजिर हो के लिए सारा दिन इंतजार
अजय अग्निहोत्री, रूपनगर काउंट डाउन सुबह ही शुरू हो गया था। पूर्व डीजीपी एसके शर्मा और बाकी आरोपी ज
अजय अग्निहोत्री, रूपनगर
काउंट डाउन सुबह ही शुरू हो गया था। पूर्व डीजीपी एसके शर्मा और बाकी आरोपी जिला एवं सेशन जज बल¨वदर ¨सह संधू की कोर्ट में सुबह ही पहुंच गए थे। लेकिन कुछ पल कोर्ट रूम में बैठने के बाद शर्मा के वकील एचएस पाल ने उन्हें कोर्ट के बाहर जाने के लिए कहा। बस तभी से शुरू हो गया, लंबा इंतजार। जिस परिवार ने छब्बीस साल अपने बेटे के लापता होने के मामले में इंसाफ की गुहार लगाई थी, उनके लिए ये शनिवार का दिन बरसों लंबा बीता। कभी कोर्ट के भीतर तो कभी कोर्ट के बाहर बैठकर उन्होंने समय गुजारा। उधर, डीजीपी समेत बाकी आरोपियों का दिन भी फैसले के इंतजार में गुजरा। जैसे जैसे समय बीतता जा रहा था, वैसे वैसे फैसले को लेकर सभी का असमंजस और उत्सुकता भी बढ़ती जा रही थी।
पूर्व हैं पर वर्तमान अफसर की तरह मिला ट्रीटमेंट
एसके शर्मा और पूर्व डीआइजी एसपीएस बसरा बेशक अब रिटायर हो चुके हैं, लेकिन उन्हें रूपनगर पुलिस की ओर से ट्रीटमेंट पूरा आला अफसरों की तरह दिया गया। सुबह के समय पूर्व डीजीपी एसके शर्मा और एसपीएस बसरा बुलेट फ्रूफ अंबेसेडर कार में पायलट जिप्सी की अगुवाई में आए और उनके साथ ब्लैक कमांडो और रूपनगर पुलिस के आला अधिकारी भी मौजूद थे। कार से उतरते ही पुलिस मुलाजिमों ने शर्मा को सेल्यूट किया। एसडीएम दफ्तर की तरफ से दाखिल होकर शर्मा और पूर्व डीआइजी एसपीएस बसरा जिला कोर्ट में पहुंचे थे। कोर्ट में एक बार जज साहब के सामने पेश होकर वो बाहर सुप¨रटेंडेंट के कमरे में बैठ गए और उनका सुरक्षा अमला बाहर खड़ा रहा। दोपहर एक बजे जैसे तो एक बार माहौल बना कि जज कोर्ट में आएंगे और फैसला सुना देंगे। पर वो आए नहीं और लंच चले गए। इसके बाद एसके शर्मा एसएसपी दफ्तर चले गए और वहीं उन्होंने दोपहर का खाना खाया। दोपहर दो बजे फिर अदालत में सुप¨रटेंडेंट के कमरे में पहुंच गए। इसके बाद तीन बजकर पचास पर आवाज पड़ी स्टेट बनाम एसके शर्मा हाजिर हो। इसके बाद आरोपी और शिकायत पक्ष कोर्ट में दाखिल हुआ। जज साहब ने आरोपियों की हाजिरी चेक की और फिर कहा कि चारों आरोपियों को सबूतों के आभाव में बरी किया जाता है। इसके बाद आरोपी चले गए और परिवार ने अपना रोष जाहिर किया।
आए बिना बत्ती वाली कार में, गए ओरेंज बत्ती लगाकर
कोर्ट में पूर्व डीजीपी जिस बुलेट प्रफू अंबेसेडर कार में आए थे, उस पर बत्ती नहीं लगी। लेकिन जब अदालत का फैसला उनके हक में आ गया तो उनकी अंबेसेडर कार पर ओरेंज बत्ती लगा दी गई। और वो एसएसपी दफ्तर में अपने वकील एचएस पाल के साथ जाकर बैठ गए। यहां और भी लोग थे। जबकि एसएसपी दफ्तर में नहीं थे। उनसे मिलने मीडिया कर्मी एसएसपी दफ्तर गए तो वो मैं कुछ नहीं कहना चाहता कहकर चल दिए। ओरंज बत्ती वाली कार में बैठकर रवाना हो गए।
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मैं बरी हो गया केस चों
पूर्व डीएसपी बलकार ¨सह सुबह से ही जज के कमरे के बाहर चुपचाप बैठे रहे। बलकार ¨सह कुलदीप ¨सह के अपहरण के समय एसएचओ मो¨रडा तैनात थे। हाथ में लाठी लेकर चलने वाले बलकार फैसला हक में आने के बाद राहत महसूस की। बलकार ¨सह बाहर आकर सेंट्रो कार में बैठते ही अपने परिजनों को मोबाइल करके बताया कि मैं बरी हो गया केस चों।
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गुरचरन ¨सह कंधों का सहारा लेकर कोर्ट में लाया गया
मामले में आरोपी पूर्व एएसआइ गुरचरन ¨सह जोकि इन दिनों अधरंग के शिकार हैं, को भी कोर्ट में पेश किया गया। उन्हें उनके सहयोगी कंधों का सहारा देकर कोर्ट में ले आए। गुरचरण ¨सह ने कहा कि वो इस मामले में शुरू से ही बेकसूर थे।
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घर बार सब बिका पर अभी भी नहीं मिला इंसाफ: अजैब ¨सह
उधर, कुलदीप ¨सह अमराली के पिता अजैब ¨सह ने बताया कि उन्होंने छब्बीस सालों में अपना घर बार सब कोर्ट केसों पर लगा दिया। अपना मकान बेच दिया, तीन किले जमीन बेच दी। उसका साथ उसके भाई अनूप ¨सह के बच्चों सत¨वदरपाल ¨सह, जसवीर कौर आदि ने दिया। उन पर चालीस पैंतालीस लाख का कर्ज अलग से चढ़ गया है। इस दौरान उसने अपने भाई एडवोकेट अनूप ¨सह को गंवा दिया, जिसने उसके बेटे कुलदीप ¨सह का सबसे पहले केस अपने हाथ में लिया। उनके भाई की संदिग्ध हालात में हत्या कर दी गई। उसके नन्हें पौत्र साहिबवीर ¨सह का अपहरण का प्रयास हुआ। उसके भाई अनूप ¨सह के बेटे सत¨वदरपाल ¨सह को श्री गंगानगर से उठाकर बुरी तरह टार्चर किया गया। ताकि हम कुलदीप के लापता होने के मामले को दबा दें। उनका भतीजा सत¨वदरपाल ¨सह तब गंगानगर वकालत करने गया था लेकिन उन्हें फिर उसकी वकालत भी छुड़वानी पड़ी।
जागरण संवाददाता, रूपनगर