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राष्ट्र का गौरव भाखड़ा बांध आज होगा 53 वर्ष का

सुभाष शर्मा, नंगल : भाखड़ा बांध का 53वां स्थापना दिवस 22 अक्टूबर मनाया जा रहा है। बांध के साथ शहीद स्

By Edited By: Published: Sat, 22 Oct 2016 01:02 AM (IST)Updated: Sat, 22 Oct 2016 01:02 AM (IST)
राष्ट्र का गौरव भाखड़ा बांध आज होगा 53 वर्ष का

सुभाष शर्मा, नंगल : भाखड़ा बांध का 53वां स्थापना दिवस 22 अक्टूबर मनाया जा रहा है। बांध के साथ शहीद स्मारक पर सुबह 10 बजे बीबीएमबी के चेयरमैन इंजी. एसके शर्मा श्रद्धासुमन अर्पित करेंगे। आधुनिक भारत के मंदिर के नाम से जाने जाते भाखड़ा बांध को आज के दिन ही वर्ष 1963 में देश के प्रथम प्रधानमंत्री स्व. पं. जवाहर लाल नेहरू ने राष्ट्र को समर्पित करके हरित क्रांति का सपना साकार किया था। भाखड़ा बांध सहित बीबीएमबी के ब्यास बांध परियोजना, ब्यास सतलुज लिंक परियोजना के माध्यम से विद्युत उत्पादन क्षमता 2882.73 मेगावाट के माध्यम से मात्र 22 पैसे प्रति यूनिट की लागत से बिजली देकर प्रति वर्ष करोड़ों के योगदान से राष्ट्र निर्माण में सहयोग दिया जा रहा है। भाखड़ा बांध के जलाशय की सकल भंडारण क्षमता 9340 मीलियन घन मीटर है। बांध के पीछे बनी झील का नाम सिखों के दसवें गुरु 'श्री गुरु गोबिंद सिंह' के नाम पर 'गोबिंद सागर' रखा गया है।

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बोर्ड के संचालक

भाखड़ा ब्यास प्रबंध बोर्ड के चेयरमैन पद पर तैनात इंजी. एसके शर्मा, इंजी. वीके कालरा सदस्य ऊर्जा तथा भाखड़ा बांध में मुख्य अभियंता (सिंचाई) पद पर तैनात इंजी. एके बंसल तथा भाखड़ा बांध के इंजीनियर चीफ (उत्पादन) किरपाल सिंह की देख-रेख में जल भंडारण व विद्युत उत्पादन का कार्य चल रहा है।

371 गांव हुए थे जलमग्न

देश की आजादी के बाद उपजाऊ भूमि वाले भाखड़ा गांव सहित कुल 371 गांव भाखड़ा बांध की गोबिंद सागर झील में जलमग्न हो गए थे। विस्थापित हुए करीब 3600 परिवार इन दिनों हरियाणा प्रांत के जिला फतेहाबाद के इर्द-गिर्द गांवों में बसे हुए हैं। विस्थापित शमशेर सिंह चंदेल ने बताया कि हरियाणा के जिला फतेहाबाद के टोहाणा, रत्ता टिब्बा, बोसोवाल, भिरड़ाणा तथा टिब्बी चंदेली में बस चुके परिवारों में से करीब 20 प्रतिशत ऐसे हैं जो आज तक यहां हिमाचल में वापस नहीं लौटे हैं। विस्थापितों में यह रोष है कि उन्हें विस्थापित करने के बाद न तो हिमाचल व भाखड़ा ब्यास प्रबंध बोर्ड ने कोई श्रेय दिया है व न ही केंद्र सरकार ने विस्थापितों के लिए बीबीएमबी में नौकरियों जैसा कोई आरक्षण दिया है।

283.90 करोड़ की लागत से 1962 में बना था बांध

बांध की ऊंचाई देश की राजधानी दिल्ली में स्थित कुतुबमीनार की ऊंचाई के तीन गुना से भी अधिक है। 283.90 करोड़ की लागत से वर्ष 1962 में बन कर पूरा हुआ भाखड़ा बांध उस समय एशिया में सबसे ऊंचा व विश्व में ऊंचाई में दूसरे स्थान पर था। जल स्तर 1680 फीट तक पहुंचने पर भाखड़ा बांध 2 इंच तक झुकने की क्षमता रखता है।


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