देश लई शहीद हो गया मैंनू माण एै अपने पुत्तर ते
जागरण संवाददाता, बुर्जवाला (रूपनगर)जेएंडके के श्रीनगर के पंपोर में शहादत का जाम पीने वाले बुर्जवाला
जागरण संवाददाता, बुर्जवाला (रूपनगर)जेएंडके के श्रीनगर के पंपोर में शहादत का जाम पीने वाले बुर्जवाला गांव के जगतार ¨सह मान का परिवार जहां शोक के दरिया में डूबा है। वहीं, गांव में माहौल गमगीन है। जागरण संवाददाता सुबह ग्यारह बजे जैसे ही गांव में पहुंचा तो हर तरफ सन्नाटा पसरा था और गांव के गुरुद्वारा सहिब में गुरवाणी के श्लोक सुनाई दे रहे थे। शहीद के घर को जाती गली के किनारे गांव के लोग खड़े थे जो जगतार की शहादत की बातें कर रहे थे। शहीद में गांव की महिलाओं व पुरुषों का जमावड़ा था, जो परिवार को सांत्वना देने पहुंचे थे। मां म¨हदर कौर और पत्नी हरनीप कौर का रो रोकर बुरा हाल था। पत्नी तो बस यही कहती जा रही थी कि मेरे जगतार नूं कोई वापस लिया दे। दो बच्चों में से बेटा गुरमनवीर ¨सह (9) उम्र की मासूमियत में पिता के आने का इंतजार कर रहा है और अभी पिता की मौत से बेखबर है। बेटी जशनप्रीत पिता की शहादत पर फº महसूस कर रही है। जगतार के 86 वर्षीय बुजुर्ग पिता सौदागर ¨सह संवेदना जताने आए गांववासियों के बीच सुन्न पत्थर बनकर बैठे थे। पूछने पर बस इतना कहा कि मेरा लाडल पुत्तर था जगतार। देश लई शहीद हो गया मैंनू माण एै अपने पुत्तर ते। सीआरपीएफ की 161 बटालियन के हवलदार जगतार ¨सह मान पंपोर में लश्कर ए तैयबा के आतंकियों द्वारा किए गए हमले में शहीद हुआ। बस को जगतार ही ड्राईव कर रहा था।
अब पार्थिव शरीर ही आएगा गांव
जगतार सीआरपीएफ में बतौर हवलदार श्री नगर में पिछले आठ साल से तैनात था। 28 जून को जगतार ने अपने बेटे को श्रीनगर घूमाने ले जाने के लिए आने का कार्यक्रम बनाया था। पर अब शहीद का पार्थिव शरीर ही गांव पहुंचेगा। 20 मार्च 1971 को जन्में जगतार 1994 में सीआरपीएफ में भर्ती हुआ था। उसने दसवीं सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल मीयांपुर से की थी।
डिफेंस सर्विस से हैं अधिकतर सदस्य
शहीद जगतार ¨सह मान के परिवार में अधिकतर लोग डिफेंस सर्विस से हैं। बड़ा भाई पवित्र ¨सह चंडीगढ़ में इंटेलीजेंस में इंसपेक्टर है तो उससे छोटे भाई निर्मल ¨सह बार्डर रोड आर्गेनाइजेशन में काम करता है। ताया सरदारा ¨सह सेना से हवलदार सेवानिवृत्त हुए हैं तथा चाचा प्रेम ¨सह भी सूबेदार सेवानिवृत्त हुए हैं।
नहीं पहुंचा सरकार व प्रशासन का कोई नुमाइंदा
शहीद जगतार ¨सह मान के परिवार के साथ संवेदना जताने सरकार तथा प्रशासन का एक भी नुमाइंदा नहीं पहुंचा है। जबकि पंजाब सरकार की तरफ से जगतार के परिवार को बनता सम्मान देने का प्रशासन द्वारा दावा किया गया है। और तो और सत्तारूढ़ पार्टी का कोई राजनीतिक नेता भी परिवार के साथ हमदर्दी जताने नहीं पहुंचा है। एक गांववासी शमशेर ¨सह ने कहा कि अगर किसी राजनेता के परिवार में कोई मौत हुई होती तो राजनेताओं और अफसरों का जमघट लग जाता है। यहां देश पर मर मिटने वाले के परिवार के साथ कोई दुख बंटाने नहीं पहुंचा। शमशेर ¨सह ने परिवार को आर्थिक सहायता, बच्चों की पढा़ई मुफ्त दिलाने की पंजाब सरकार से मांग की है। उन्होंने यादगार, सड़क का नाम शहीद के नाम पर रखने की सरकार से मांग भी की। ताकि आसपास गांवों के युवाओं में सेना में भर्ती होने की तमन्ना पैदा हो।