शिक्षा को बदलना आवश्यक : आचार्य देवव्रत
संवाद सहयोगी, रूपनगर शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास नई दिल्ली की ओर से रयात-बाहरा के रूपनगर कैंपस म
संवाद सहयोगी, रूपनगर
शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास नई दिल्ली की ओर से रयात-बाहरा के रूपनगर कैंपस में जारी तीन दिवसीय शैक्षणिक कार्यशाला के दूसरे दिन शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान पाने के लिए प्रख्यात शिक्षाविद डॉ. चांद किरण को पंडित मदन मोहन मालवीय शिक्षाविद सम्मान से नवाजा गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि हिमाचल प्रदेश के महामहिम राज्यपाल आचार्य देवव्रत थे।
इस अवसर पर देश भर से आए हुए शिक्षाविदों, विशेषज्ञों एवं बुद्धिजीवियों को संबोधित करते हुए महामहिम आचार्य देवव्रत ने कहा कि शिक्षा सबसे बड़ा और सबसे महत्वपूर्ण तोहफा है जो किसी को भी दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मुझे इस ग्रुप पर गर्व है जिसने पिछले कुछ सालों में बेहद विकास किया है तथा राज्य की ग्रामीण जनसंख्या तक विश्व स्तरीय शिक्षा को पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि मनुष्य को बदलना है तो शिक्षा को बदलना आवश्यक है। महामहिम ने कहा कि रयात-बाहरा ग्रुप भविष्य में अच्छे मुकाम पर पहुंचाने वाले आपके सपनों को पूरा करता है जो अपने आप में बेहद नेक काम है।
शिक्षाविद सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल कोठारी ने कहा कि शिक्षा अंर्तनिहित क्षमताओं का विकास करती है जबकि शिक्षा से संस्कृति की पहचान होती है व भाषा से ही शिक्षा का द्वार खुलता है। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों की ओर से भारत में जो शिक्षा प्रणाली बनाई गई थी, उसमें केवल नौकरी पेशा ही निमित होते थे। जबकि स्वतंत्रता के बाद भारतीय भाषा और भारतीय शिक्षा पर ¨चतन करने के लिए शिक्षा बचाओ आंदोलन चलाया गया। उन्होंने कहा कि आज उसी शिक्षा आंदोलन को शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास की ओर से पूरे देश में भारतीय शिक्षा प्रणाली के रूप में विकसित करने का काम हो रहा है।
विशेष अतिथि भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अविनाश राय खन्ना ने कहा कि भारतीय ¨चतन में ज्ञान की परम्परा उत्कृष्ट रही है एवं उसके पुर्न: स्थापन की जिम्मेदारी हमारी है। उन्होंने कहा कि हमें शिक्षा को संस्कारवान तथा मनुष्य के लिए कल्याणकारी बनाना है। छठवें पंडित मदन मोहन मालवीय शिक्षाविद सम्मान से नवाजे गए डॉ. चांद किरण ने अपने सम्मान के प्रतिउत्तर में कहा कि शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा देश और समाज के प्रत्येक क्षेत्र में जाकर शिक्षा के प्रति सराहनीय कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आज हम देख रहे हैं शिक्षित व्यक्ति ज्यादा अस्थिर है तथा शिक्षा के परिणाम दूषित निकल रहे हैं। कहा कि भारतीय समाज और राष्ट्र के अनुरूप शिक्षा व्यवस्था बनाई जाने की आज अत्याधिक अवश्यकता है।
इस कार्यक्रम का आरंभ डॉ. कुमुद दीवान (नई दिल्ली) द्वारा सरस्वती वंदना के गायन से हुआ। स्वागत वक्तव्य एवं अतिथि परिचन देशराज शर्मा द्वारा प्रस्तुत किया गया, जबकि अध्यक्षीय उद्बोधन न्यास के राष्ट्रीय अध्यक्षीय प्रसिद्ध शिक्षाविद दीनानाथ बत्तरा ने दिया। इस मौके पर रयात बाहरा ग्रुप के चेयरमैन गुर¨वदर ¨सह बाहरा ने कार्यक्रम में पहुंचे सभी गणमान्य व्यक्तियों का आभार व्यक्त किया।