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अनदेखी : खुद अस्तित्व से जूझ रहा है गांववासियों की लाइफ लाइन डैम

अजय अग्निहोत्री, रूपनगर गांववासियों की लाइफ लाइन बन चुका टांडा का वाटर हारवे¨स्टग डैम अब देखभा

By Edited By: Published: Thu, 26 Mar 2015 01:07 AM (IST)Updated: Thu, 26 Mar 2015 01:07 AM (IST)
अनदेखी : खुद अस्तित्व से जूझ रहा है गांववासियों की लाइफ लाइन डैम

अजय अग्निहोत्री, रूपनगर

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गांववासियों की लाइफ लाइन बन चुका टांडा का वाटर हारवे¨स्टग डैम अब देखभाल के अभाव में खुद अपने अस्तित्व से लड़ रहा है। जिले के कंडी क्षेत्र में पड़ते गांव टांडा का वाटर हारवे¨स्टग डैम बंद होने के कारण गांव टांडा एवं बरदार की करीब सौ एकड़ जमीन ¨सचाई से वंचित हो गई है। इस कारण इन गांवों के किसान परेशान हैं, क्योंकि पिछले बीस बरसों से जो डैम उनकी ¨सचाई की जरूरतों को पूरा कर रहा था अब उसकी ही लाइफ लाइन खत्म हो गई है। अब किसानों की आंखें सरकार की नजर ए इनायत ताक रही हैं।

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सीमांत व कंडी क्षेत्र में बनाए जाते हैं

वाटर हारवे¨स्टग डैम बरसाती पानी को इकट्ठा कर बांध बनाकर भूमि, पानी संभाल एवं वेस्ट लैंड विकास विभाग पंजाब द्वारा केंद्रीय सहायता के अधीन बनाया गया था जिससे कंडी क्षेत्र के छोटे एवं सीमांत किसानों की सूखी एवं बरसात पर निर्भर जमीन को ¨सचाई सुविधा मिल सके और किसान इस जमीन पर खेतीबाड़ी करके अपना गुजारा कर सकें। इको फ्रेंडली इस डैम का उदघाटन तत्कालीन खेतीबाड़ी एवं वन मंत्री दिलबाग ¨सह नवांशहर ने दस नवंबर 1994 में किया था।

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ऐसे बदला किसानों का मुकद्दर

¨सचाई की सुविधाएं मिलने के बाद इन गांवों की ऊंची नीची जमीन पर हरियाली लहराई क्योंकि नीम पहाड़ी इलाके में डैम बनने के बाद जमीन का भू जलस्तर भी बढ़ गया। खेती अच्छी होने से किसानों को अच्छी आय होने लगी और उनका मुकद्दर बदल गया। जिस जमीन पर केवल जौ, चने, मसरी व मक्की आदि कम पानी से पैदा होने वाली फसलें होती थीं, वहां पानी की पहुंच के बाद गेहूं, सरसों, मक्की, धान, चारा, गन्ना आदि फसलें पैदा होने लगी।

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पिछले एक-दो साल से आ रही थी प्राब्लम, अब बन गई बिग प्राब्लम

डैम में लगातार मिट्टी भरने से डैम से ¨सचाई व्यवस्था पिछले एक-दो साल मिट्टी की वजह से बंद होती रही लेकिन इस बार तो ये पूरी तरह ठप हो गई थी। किसान किसी तरह जुगाड़ लगाकर डैम को चलाते रहे। डैम की छोटी मोटी मरम्मत भी वे खुद ही करते रहे। विभाग द्वारा एक बार ही तब डैम को मजबूत करने का काम करवाया था, जब डैम में बड़ी दरार पड़ गई थी।

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डैम में पंद्रह फीट तक भर गई है मिट्टी

डैम जोकि बीस फीट गहरा था, में पिछले बीस सालों में धीरे-धीरे पंद्रह फीट तक मिट्टी भर गई है। इस कारण कुछ समय पहले इस डैम का वाल्व मिट्टी भरने से पूरी तरह बंद हो गया। अब स्थिति यह है कि डैम की झील में पानी तो खड़ा है लेकिन वाल्व में मिट्टी भर जाने से ¨सचाई का काम पूरी तरह से बंद है।

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इस साल तो इंद्र देव की कृपया रही, अगले साल क्या होगा : किसान

दोनों गांवों के किसान परेशान हैं। पूर्व सरपंच करनैल ¨सह, बंत ¨सह, राम रतन, प्रकाश व अवतार ¨सह ने बताया कि यह डैम उनकी रोजी रोटी का एकमात्र जरिया है। अब यह बंद होने से पिछले बीस सालों में उपजाऊ हुई जमीन धीरे-धीरे बंजर हो सकती है। इस साल उन्होंने डैम से खुद डीजल इंजन लगाकर पानी किसी तरह निकाला और बरसात ने उनकी फसलों को संजीवनी प्रदान कर दी लेकिन अगले साल फसलों की ¨सचाई वे कहां से करेंगे, ¨चता खाए जा रही है।

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डैम की मरम्मत के लिए नहीं फंडों की व्यवस्था : भजन ¨सह

वाटर हारवे¨स्टग डैम के निर्माण के लिए केंद्र सरकार फंड देती है लेकिन इनकी मरम्मत के लिए फंड नहीं मिलता। हमारे विभाग के पास भी मरम्मत के लिए कोई फंड नहीं होता, जिससे डैमों की मरम्मत करवाई जा सके।

भजन ¨सह, अधिकारी डिवीजनल भूमि संभाल विभाग रूपनगर


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