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सुहागिनों ने की पति की लम्बी उम्र की कामना

जागरण संवाददाता, रूपनगर : सुख, सुहाग व समृद्धि का प्रतीक माना जाता सुहागिनों के सिरमौर त्योहार कर

By Edited By: Published: Sat, 11 Oct 2014 05:22 PM (IST)Updated: Sat, 11 Oct 2014 05:22 PM (IST)
सुहागिनों ने की पति की लम्बी उम्र की कामना

जागरण संवाददाता, रूपनगर :

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सुख, सुहाग व समृद्धि का प्रतीक माना जाता सुहागिनों के सिरमौर त्योहार करवाचौथ के मौके पर शनिवार को शहर के विभिन्न मंदिरों तथा मुहल्लों में भारतीय संस्कृति के अनुसार विधि विधान से पूजा अर्चना की गई। जबकि दूसरी तरफ आज पूरा दिन बाजारों में भी सुहागिनों द्वारा की जा रही खरीदारी का खुमार चरम पर रहा। भारतीय संस्कृति के अनुसार करवाचौथ के व्रत का उद्यापन तो चंद्रमा के उदय पर अ‌र्घ्य देने के बाद उस वक्त होता है जब सुहागिन अपने पति की आरती उतार उसके चरणों में शीश नवाती है तथा पति उसे आशीर्वाद प्रदान करता हुआ अपने हाथों से पहले जल व फिर ड्राई फ्रूट अथवा किसी फल से मूंह जूठा करवाता है।

विधान के अनुसार आज चन्द्रमा उदय से पूर्व अपनी-अपनी संस्कृति के अनुसार सुहागिने अलग-अलग जगह सोलह श्रृंगार कर हाथों में सुहाग की लंबी उम्र की कामना का प्रतीक दिए थालियों में सजा कर एकत्रित हुईं। इस मौक पर मंदिरों में ब्राह्मण द्वारा तथा विभिन्न मोहल्लों में किसी बुजुर्ग महिला द्वारा करवाचौथ व्रत की कथा सुनाई गई। जबकि उसके बाद सभी सुहागिने अपनी-अपनी पूजा वाली थाली एक दूसरे तक तब तक घुमाती रहीं जब तक कि उनकी अपनी थाली पुन: वापस नहीं आई।

आज रूपनगर के लगभग सभी मंदिरों में तथा सभी मोहल्लों में सुहागनों ने एकत्र होकर करवा चौथ का पूजन किया तथा अपने सुहाग की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि तथा घरों में सदा मंगल की कामना की।

बाजारों की अगर बात करें तो आज भी पूरा दिन मेंहदी रचाने वाले कलाकारों तथा फैशन एवं ब्यूटी पार्लरों पर महिलाओं तथा युवा लड़कियों की भीड़ लगी रही। मेहंदी रचाने वाले एक कलाकार बाबू राम (उत्तर प्रदेश) से जब बात की गई तो उसने बताया कि पिछले चार दिन से उनके परिवार के कुल 12 सदस्य जिनमें पांच बच्चे भी शामिल हैं, जोकि लगातार महिलाओं व छोटी-बड़ी लड़कियों को मेहंदी लगा रहे हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि इस बार पिछले वर्ष की तुलना में सोच से कहीं ज्यादा कमाई हुई है। कुल मिलाकर आज देर शाम तक हर तरफ खुशी का आलम देखा जा रहा था, जबकि हर सुहागिन को इंतजार था रात के पहले पहर में यानि लगभग 8.20 बजे चन्द्रमा के निकलने का ताकि वे विधि विधान से चंद्र दर्शन करते हुए सुबह से रखा अपना व्रत खोल सकें।


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