संतोषगढ़ से बाथड़ी तक होगा स्वां नदी का चैनेलाइजेशन
सुभाष शर्मा, नंगल
पंजाब सीमा से सटे हिमाचल में संतोषगढ़ से बाथड़ी तक स्वा तटीयकरण के अधर में लटके प्रोजेक्ट का मार्ग प्रशस्त हो गया। दिल्ली में केन्द्रीय जल आयोग के साथ हिमाचल व पंजाब के आला अफसरों की बैठक में हिमाचल द्वारा प्रभावशाली तरीके से अपना पक्ष रखे जाने के बाद पंजाब ने अंतत: इस तटीयकरण के लिए अपनी एनओसी दे दी है। अब पंजाब की जिम्मेदारी इस दिशा में और बढ़ गई है कि जल्द पंजाब में उन इलाकों का तटीयकरण कर दिया जाए जहां आकर स्वां नदी का रौद्र रूप हर बार अपना असर दिखाते हुए दर्जनों गांवों को नुकसान पहुंचाता आ रहा है।
केन्द्रीय जल आयोग के चेयरमैन हरिन्द्र पाडेय की अध्यक्षता में वीरवार हुई बैठक में पंजाब के सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव श्री पुन्नू, पंजाब के चीफ इंजीनियर (ड्रेनेज) गुरदेव सिंह और हिमाचल प्रदेश की ओर से चीफ इंजीनियर (प्रोजेक्ट) एमएस कंवर, स्वा तटीयकरण परियोजना के अधीक्षण अभियंता एनएम सैणी और अधिशाषी अभियंता हरेन्द्र भारद्वाज शामिल हुए।
संतोषगढ़ से बाथड़ी तक स्वा तटीयकरण का मसला पंजाब के हठ के कारण सालों साल से लटका हुआ था। पंजाब बंधा हुआ पानी लेने के लिए तैयार नहीं था। तटीयकरण उसी सूरत में हो सकता था, जब दोनों सूबे इसके लिए सहमत हों। पंजाब सरकार द्वारा एनओसी न देने से संतोषगढ़ से बाथड़ी तक स्वा तटीयकरण का कार्य लटका था, जिसका खामियाजा यहा के किसानों के साथ- साथ स्थानीय लोगों को भी भुगतना पड़ रहा था। बरसातों के दिनों में स्वा द्वारा इस क्षेत्र में अपना रौद्र रूप दिखाने से घर व फसलें जलमग्र होने का अभिशाप झेल रही थीं। अब 55 करोड़ की लागत से संतोषगढ़ से बाथड़ी तक दाईं तरफ 4.2 किलोमीटर व बाईं ओर अढ़ाई किलोमीटर स्वा चैनेलाइज हो जाएगी।
---वरदान साबित होगा चैनेलाईजेशन: अग्निहोत्री---
फोटो 22 एनजीएल 11 में है।
हिमाचल के उद्योग मंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने पंजाब सरकार का एनओसी देने के लिए आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा है कि स्वां नदी चैनेलाइजेशन के प्रोजेक्ट को स्वीकृति मिलना एक बड़ी जीत है। इस हलके के लोगों के लिए यह तटीयकरण वरदान साबित होगा।
---हिमाचल में स्वां चैनेलाइजेशन से पंजाब का बढ़ेगा खतरा---
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कंडी संघर्ष कमेटी पंजाब के चेयरमैन तरसेम सिंह भलड़ी ने कहा है कि हिमाचल में बाथड़ी तक की स्वां नदी के चैनेलाइजेशन से पंजाब का खतरा बढ़ गया है, क्योंकि अब इकट्ठा पानी आपदा बन कर पंजाब के उन गांवों पर टूटेगा जिन दर्जनों गांवों के लोग पहले ही स्वां नदी के रौद्र रूप से दशकों से परेशानी झेलते आ रहे हैं। पंजाब को हिमाचल के चैनेलाइजेशन को तब तक रोकना चाहिए जब तक पंजाब में चैनेलाइजेशन का काम शुरू नहीं हो जाता। पंजाब-हिमाचल में एक साथ स्वां नदी चैनेलाइजेशन का काम चले तभी इसे राहत का काम कहा जा सकता है, अन्यथा हिमाचल में चैनेलाइजेशन हो जाने के बाद स्वां नदी पंजाब में एक ऐसी तबाही बन कर टूट सकती है जिसकी भरपाई करना बेहद मुश्किल होगा।