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रमजान से ली रुखसत, अब ईद का इंतजार

By Edited By: Published: Sat, 26 Jul 2014 12:59 AM (IST)Updated: Sat, 26 Jul 2014 12:59 AM (IST)
रमजान से ली रुखसत, अब ईद का इंतजार

जागरण संवाददाता, रूपनगर

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रूपनगर में जुम्मा-तुल्ल-विदा की नमाज को लेकर मुस्लिम भाईचारे में जोशोखरोश देखा गया। रूपनगर की जामा मस्जिद समेत शामपुरा में दो जगह नमाज अता की गई। जामा मस्जिद में ईमाम मौलाना सैयद अजहर हसन ने संबोधित करते हुए कहा कि यह पवित्र रमजान का महीना चल रहा है जिसमें मुसलमानों को खुदा ने रोजा रखने का हुकम दिया है। रोजा रखने से आदमी खुदा का फरमाबरदार बन जाता है। रोजा सुबह चार बजे से सायं साढ़े सात बजे तक पूरे दिन खाने पीने से गुरेज का नाम है। रोजा रखने से आदमी बुराई और गुनाह से सुरक्षित रहता है। रोजा रखकर जो आदमी बुराई पाप करता है खुदा को ऐसा रोजे की जरूरत नहीं। मौलाना हसन ने कहा कि रोजा अमीर धनवान और गरीब दोनों को रखना जरूरी है। अमीर को रोजे के दौरान ये एहसास होगा कि गरीब के पास खाने को कुछ नहीं होता तो उस पर क्या गुजरती होगी। तभी वो गरीब की सहायता के लिए तत्पर होता है।

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शामपुरा में दो जगह नमाज अता की मुस्लिम भाईचारे ने

इसी तरह शामपुरा में फारूकी मुस्लिम भाईचारे ने ईमाम वजहुल्ल कमर की अगुवाई में जुम्मा-तुल्ल-विदाकी नमाज अता की। इस मौके पर नमाज अता करने के बाद लोगों ने फेनियां और सेवियां की खरीददारी भी की। ईमाम वजहुल्ल कमर ने कहा कि रजमान को रुखसत करने का दिन जुम्मा है। ये दिन ईद का पैगाम लेकर आता है। इस मौके पर शब्बीर हुसैन, नबी अहमद, अली अहमद, रहीस बाबू, शकील अहमद, अहमद हुसैन, मल्लू हुसैन, वली हुसैन आदि मौजूद थे। वहीं, नूरी मस्जिद में मौलवी अब्दुल रशीद नूरी की अगुवाई में नमाज अता की गई। अब्दुल रशीद नूरी ने कहा कि इस महीने में शैतान इबलीस को अल्लाह कैद में डाल देता है और जन्नत के दरवाजे खोल देता है। इस मौके पर अफसर हुसैन, जमील अहमद, सिराज अहमद, रबी खान, नेकसू अहमद, नजीर अहमद, मंशी भाई, रजमानी गुलाम हुसैन आदि मौजूद थे।

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रमजान का महीना खुदा की रहमत और गुनाहों से माफी दिलाता है : ईमान हसन

रूपनगर जामा मस्जिद के ईमाम सैद अजहर हसन ने बताया कि रमजान पवित्र महीना है। इसे तीन हिस्सों में बांटा गया है। पहले दस दिनों में अल्लाह रहमत और दया प्रदान करता है। अगले दस दिनों में इंसान अपने गुनाहों की माफी मांगता है और उसके बाद के दस दिनों में जहन्नम (नर्क) से मुक्ति का रास्ता उसे मिलता है। उन्होंने बताया कि रमजान की 27वीं रात को अल्लाह ने कुर्बान पाक को इस जमीन पर उतारा था।


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