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प्राकृतिक स्त्रोत के उपयोग पर दोहरा मापदंड अपना रही केंद्र सरकार

जागरण संवाददाता, पटियाला केंद्र सरकार पंजाब के संदर्भ में हमेशा से दोहरे मापदंड़ अपनाए हुए है। देश

By JagranEdited By: Published: Sun, 28 May 2017 08:40 PM (IST)Updated: Sun, 28 May 2017 08:40 PM (IST)
प्राकृतिक स्त्रोत के उपयोग पर दोहरा मापदंड अपना रही केंद्र सरकार
प्राकृतिक स्त्रोत के उपयोग पर दोहरा मापदंड अपना रही केंद्र सरकार

जागरण संवाददाता, पटियाला

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केंद्र सरकार पंजाब के संदर्भ में हमेशा से दोहरे मापदंड़ अपनाए हुए है। देश भर में जितने भी प्राकृतिक स्त्रोत हैं उनका उपयोग वहां की राज्य सरकार कर रही है। वह अपनी धरती से निकलने वाले या गुजरने वाले प्राकृतिक स्त्रोत को बेच कर फंड उगा रही है, परंतु पंजाब में पानी को सभी प्राकृतिक स्त्रोत मानते हैं। राज्य को इसका प्रयोग कर फंड उगाहने का कोई भी अधिकार नहीं है। पंजाब के गठन के बाद राज्य की ओर से अब तक राजस्थान, हरियाणा व दिल्ली प्रदेश को 21 लाख करोड़ रुपये का मुफ्त पानी व बिजली दे चुकी है। यह बात कुदरती साधनों का मालिकाना अधिकार के संदर्भ में आयोजित विचार गोष्ठी में माहिरों ने प्रकट किए। विचार गोष्ठी से पहले एक प्रेसवार्ता का भी आयोजन हुआ। जिसमें

सांसद डॉ. धर्मवीर गांधी ने कहा कि प्राकृतिक स्त्रोत पानी के संबंध में बीते 37 साल से सुप्रीमकोर्ट में फैसला लंबित है। जिसका फैसला किया जाना समय की जरूरत है। यदि अभी इस संबंधी फैसला शीघ्र न लिया तो आने वाले समय पंजाब को रेगिस्तान बनने से कोई भी नहीं रोक सकेगा। जिस तरह अन्य राज्यों का अपने-अपने प्राकृतिक स्त्रोत पर उनका अधिकार है। उसी तरह पंजाब का भी अपने पानी पर अधिकार है। जसमाहिर प्रीतम ¨सह कुरमेदान ने कहा कि राजनीतिक दल अपने स्वार्थ के चलते पंजाब के पानी पर अपनी राजनीतिक रोटियां सेक रहे हैं, जबकि पंजाब वासियों के हितों पर कोई भी ध्यान नहीं कर रहा है। डॉ. गुरदर्शन ¨सह ढिल्लों ने कहा कि यह मामला केवल राज्य के अधिकार का है। भारतीय संविधान के अनुसार पंजाब के पानी पर हरियाणा, राजस्थान व दिल्ली को कोई भी अधिकार नहीं है। सुखदर्शन ¨सह नत्त ने कहा कि केंद्र सरकार जब भी पानी का कोई भी मामला उठाता है तो वह उसका विरोध शुरू कर देती है। इस समस्या के लिए सभी पंजाबियों को एकजुट होना होगा। उन्होंने कहा कि धरती में से हम पानी अंधाधुंध निकाल रहे हैं और दरिया से गुजरने वाले पानी का हम प्रयोग नहीं कर पा रहे हैं। जिस तरह से अन्य राज्य अपने प्राकृतिक स्त्रोत की कीमत ले रहे हैं। पंजाब को भी इसका उपयोग करने की छूट प्रदान की जानी चाहिए। गोष्ठी के दौरान बड़ी संख्या में आए लोगों ने एकजुट होकर इस मामले का हल करने की अपील की।


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