संसार में अत्याचार बढ़ने पर होता है भगवान का अवतार : साध्वी
संस, पटियाला भगवान श्री परशुराम वाटिका पटियाला में परशुराम जयंती के पावन पर्व पर विशेष कार्यक्रम आ
संस, पटियाला
भगवान श्री परशुराम वाटिका पटियाला में परशुराम जयंती के पावन पर्व पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें साध्वी रितु भारती ने भगवान परशुराम के जीवन संबंधी बाल लीलाओं को व्यक्त करते हुए कहा कि प्रभु के अवतार धारण करने के पीछे कुछ परिस्थितियां विशेष रूप में कारण बनती हैं। भाव कि जब इस संसार में अत्याचार, अनैतिकता और पाप कर्म बढ़ते है तो संतों-महापुरुषों और धार्मिक ग्रंथों का निरादर होता है। उस समय प्रभु ने संसार में शरीर धारण किया। भगवान श्री कृष्ण भी गीता के माध्यम से अर्जुन को समझाते हैं कि मैं जजन्मा, सर्वव्यापक, अविनाशी एवं सभी प्राणियों का ईश्वर होते हुए भी अपनी प्रवत्ति को वश में करने हेतु योग माया के द्वारा प्रकट होता हूं। इसलिए तो भगवान कृष्ण ने कहा कि मेरा जन्म और कर्म दोनों ही अलौकिक है। भगवान परशुराम हमारी भारतीय संस्कृति, इतिहास और अध्यात्म के असल स्वरूप हैं। जिस समय प्रभु की सर्वोच्च रचना मानव ही जब धर्म के मार्ग को त्याग अधर्म, अनाचार के मार्ग का अनुसरण करने लगे और अपनी शक्ति के अहम में चूर हो ईश्वर को चुनौती देने लगे तब भगवान परशुराम जी ने अवतार धारण कर दुष्टों का संहार किया।
साध्वी ने बताया कि जब कोई मनुष्य संसार में जन्म लेता है तो उसे जन्मदिवस इसलिए कहते हैं क्योंकि वह तो कर्म-संस्करों में जकड़ा होता है जिसके विपरीत जब प्रभु धरा पर अवतरित होते हैं तो वह अवतार कहलाता है। यहां तक कि जब संसार में अनाचार बढ़ता है तो सामुहिक सात्विक शक्तियां एकत्र होकर मुश्किलों को पराजित करने हेतु मानवीय मूल्यों की स्थापना करने में लग जाती है। यही हमारी भारतीय संस्कृति की महानता है और भगवान परशुराम की जीवन लीला भी यही संदेश देती है।