चाय-पानी को तरसे बाबू, जनता बेहाल
राज पारचा, पटियाला जिला प्रबंधकीय कांप्लेक्स में स्थित कैंटीन का दो बार टेंडर निकालने के बाद भी शह
राज पारचा, पटियाला
जिला प्रबंधकीय कांप्लेक्स में स्थित कैंटीन का दो बार टेंडर निकालने के बाद भी शहर के किसी ठेकेदार ने ठेका लेने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। जनता की परेशानी को ध्यान में रखते हुए प्रशासन तीसरी बार टेंडर निकालने की तैयारी में है। सूत्रों की माने तो कैंटीन का ठेके में बोली न देने का बड़ा कारण अधिक ठेका राशि 5.70 लाख रुपये होना है। इसके अलावा उच्चाधिकारियों की बगार अलग से ठेकेदार को झेलने पड़ती है।
जिला प्रबंधकीय कांप्लेक्स के ब्लॉक ए व डी में दो-दो कैंटीन थी। जिनका ठेका भी 31 मार्च को समाप्त होने पर कैंटीन बंद पड़ी है। चूंकि एक ब्लॉक व डी ब्लॉक में अधिकतर पब्लिक डिलिंग के कार्य होते हैं। इस कारण यहां रोजाना तीन से चार हजार की संख्या में लोगों का आना-जाना रहता है। एक माह से बंद पड़ी कैंटीन की कमी आम जनता सहित सरकारी बाबूओं और अधिकारियों को खल रहा है। सरकारी बाबू अपने काम का बोझ कुछ कम करने के लिए सेवादारों को बाहर चाय लाने के लिए भेजने को मजबूर हैं। तेज गर्मी में सेवादारों का बार-बार आनाजाना उनके लिए परेशानी का सबब बना हुआ है, इससे सरकारी काम भी प्रभावित होना स्वभाविक है।
बिना सर्विस चल रहे वाटर कूलर
जिला प्रबंधकीय कांप्लेक्स में सार्वजनिक शौचालय तो उपलब्ध है, लेकिन जनता को स्वच्छ पेयजल नसीब नहीं हो रहा। कहने को यहां वाटर फिल्टर तो लगा है, लेकिन कई सालों से इनकी सर्विस न होने के कारण बिना फिल्टर का पानी पीना पड़ रहा है। ऐसे में लोगों को पानी से होने वाली विभिन्न प्रकार की गंभीर बीमारी अपनी चपेट में ले सकती हैं। अज्ञात बीमारियों से बचने के लिए आफिस के बाबूओं ने किसी निजी कंपनी से फिल्टर पानी के रैबर लेना शुरू कर दिया है।
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आज होगी कैंटीन की दोबारा बोली
डिप्टी कमिश्नर रामवीर सिंह ने बताया कि कैंटीनों का ठेका एक अप्रैल को समाप्त हो गया था। नया ठेके के लिए प्रशासन दो बार टेंडर करवा चुका है, लेकिन किसी ठेकेदार द्वारा बोली न देने के कारण कैंटीन बंद पड़ी है। उन्होंने बताया कि 29 अप्रैल को दोबारा टेंडर निकाला जाएगा, जिसके बाद स्थिति स्पष्ट हो पाएगी।