भिखारी या तमाशा दिखाने वाला बन करते थे रेकी
सुरेश कामरा, पटियाला रात के समय लूटपाट व हत्या की वारदात को अंजाम देने वाले गिरोह के कई सदस्य दिन
सुरेश कामरा, पटियाला
रात के समय लूटपाट व हत्या की वारदात को अंजाम देने वाले गिरोह के कई सदस्य दिन के समय गुब्बारे व खिलौने बेचने के अलावा भिखारी व तमाशा दिखाने वाला बनकर मोहल्लों में जाते थे। वारदात को अंजाम देने के लिए वे उक्त भेष में जाकर अपने शिकार के घर की रेकी करते थे। रेकी के बाद वे एक घर को निशाना बनाकर रात के समय हथियारों के साथ घर में दाखिल होकर उक्त घर वालों पर हमला करते थे। हमले दौरान विरोध करने की सूरत में घर के मालिकों को बाध देते, चोट से बेहोश करते और लूटपाट करते। इस दौरान वे हत्याएं भी कर देते थे।
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कृष्ण पक्ष में करते लूटपाट
गिरोह के सदस्य इतने शातिर थे वे वारदात करने के लिए कृष्ण पक्ष की अंधेरी रातों को चुनते थे। कृष्ण पक्ष के समय में रात के समय चांद की रोशनी कम यानी अंधेरा होता है जबकि शुक्ल पक्ष में रात के समय चांद की रोशनी अधिक होती है।
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खास इलाकों का करते थे चयन
बस अथवा रेल के जरिए यात्रा करके शहर में दाखिल होने वाले गिरोह के सदस्य रेल पटरी अथवा नहर के साथ साथ पैदल चल पड़ते थे। सुनसान क्षेत्र देखकर वे घरों में घुस जाते थे। उनके घर में घुसने के समय अगर घर का मालिक जाग जाता तो वे उसे हथियारों के बल पर घायल कर देते थे। वारदात के दौरान यह लोग सरिया, राड, नलके की हत्थी का इस्तेमाल अधिक करते थे।
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महिलाएं भी शामिल गिरोह में
पुलिस इस बात पर भी शक जाहिर कर रही है कि गिरोह में महिला सदस्यों की भूमिका से इन्कार नहीं किया जा सकता। ये लोग स्थायी रूप से एक स्थान पर कुछ महीनों से अधिक समय नहीं टिकते हैं। अपराध करने के बाद अन्य अपराध करने के लिए किसी नए क्षेत्र में चले जाते है। खास बात यह कि ये लोग घटना के समय किसी वाहन का प्रयोग न के बराबर ही करते है।