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सीबीआइ को कठपुतली बनाना चाहती है हर सरकार : जोगिंदर सिंह

जागरण संवाददाता, पटियाला देश में जब भी सत्ता परिवर्तन होता है, तो हर सरकार सीबीआइ को अपनी कठपुत

By Edited By: Published: Wed, 22 Oct 2014 12:59 AM (IST)Updated: Wed, 22 Oct 2014 12:59 AM (IST)
सीबीआइ को कठपुतली बनाना चाहती है हर सरकार : जोगिंदर सिंह

जागरण संवाददाता, पटियाला

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देश में जब भी सत्ता परिवर्तन होता है, तो हर सरकार सीबीआइ को अपनी कठपुतली बना कर रखना चाहती है। जब तक सीबीआइ को पूर्ण से आजादी नहीं मिलेगी, तब तक देश को भ्रष्टचार से मुक्ति दिलाना संभव नहीं है। यह बात सीबीआइ के पूर्व निदेशक जोगिंदर सिंह ने आर्यस ग्रुप की ओर से आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान कही।

उन्होंने कहा कि जब तक मगरच्च्छ के स्थान पर छोटी मछलियों पर हाथ डाल कर केवल खानापूर्ति बंद नहीं होगी, तब तक विकास संभव नहीं है। हमारे देश में अंग्रेजों के समय के कानून चल रहे हैं। इनमें बदलाव समय की जरूरत है। इस समय देश की अदालतों में 3.32 करोड़ केस लंबित चल रहे हैं। इनमें से 56 हजार केस सुप्रीम कोर्ट में और 40 लाख केस हाई कोर्ट में लंबित हैं। बकाया केस अन्य लोअर कोर्ट में फैसले के इंतजार में पड़े हैं। इतना ही नहीं एक लाख लोगों के पीछे 50 जज नियुक्त होने चाहिएं। लेकिन इस समय देश में कुल 18 हजार जज के पद हैं। इनमें 13 हजार पद भरे हुए हैं। दिल्ली में कुछ समय पहले 250 जजों की नियुक्ति की गई थी, लेकिन इनके बैठने के लिए वहां की अदालत में कमरे ही नहीं हैं। इस पर ध्यान किए जाने की जरूरत है।

जोगिंदर सिंह ने कहा कि इस समय सीबीआइ में 5600 केस लंबित पड़े हैं। इसका मुख्य कारण सीबीआइ में पदों का बड़ी संख्या में रिक्त होना भी है। साथ ही सरकार की ओर से बड़ी संख्या में केसों पर कार्रवाई न करने के आदेश केसों के लंबित होने की संख्या में इजाफा कर रहे हैं। कुछ समय पहले सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को कहा था कि सीबीआइ को आजादी दी जाए, लेकिन यह आदेश आज भी लंबित है।

उन्होंने बताया कि विधि आयोग के अनुसार जनता की सुरक्षा के लिए एक लाख लोगों के पीछे 250 पुलिस मुलाजिम होने चाहिएं। जबकि यूपी में एक लाख के पीछे मात्र 73 और बिहार में मात्र 63 मुलाजिम काम कर रहे हैं। इनमें से बड़ी संख्या में मुलाजिम वीआइपी डयूटी में तैनात रहते हैं। पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के अनुसार देश भर में 21 लाख पुलिस मुलाजिमों के पद हैं, जबकि छह लाख पद खाली चल रहे हैं। ऐसे में सुरक्षा का प्रभावित होना स्वाभाविक है।


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