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14,15--ईश्वर को जानना मनुष्य का लक्ष्य : गंगाधरी भारती

जागरण संवाददाता, नवांशहर दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से राहों रोड में भारतीय नववर्ष पर भजन

By JagranEdited By: Published: Tue, 28 Mar 2017 05:42 PM (IST)Updated: Tue, 28 Mar 2017 05:42 PM (IST)
14,15--ईश्वर को जानना मनुष्य का लक्ष्य : गंगाधरी भारती
14,15--ईश्वर को जानना मनुष्य का लक्ष्य : गंगाधरी भारती

जागरण संवाददाता, नवांशहर

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दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से राहों रोड में भारतीय नववर्ष पर भजन संध्या का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत गणेश वंदना से की गई। प्रभु की मंगल वंदना में प्रवचनों के अमृतरस का रसपान करवाते हुए साध्वी गंगाधरी भारती ने कहा कि नववर्ष हर इंसान के बीत चुके बर्ष में बुराइयों को त्याग कर नए जीवन का संचार करने की प्ररेणा देता है। नव वर्ष में लोग कुछ नया करने की चाह रखते हैं।

साध्वी जी ने बताया कि नया वर्ष आता है और पुराना होकर चला जाता है। पर इसमें से कोई ऐसा भी है जो कभी नहीं जाता जो सदैव रहता है इसे हमारे धार्मिक ग्रंथ ईश्वर कहते हैं। महापुरूषों ने कहा कि सतगुरु मेरा सदा सदा है न आवे न जाए, उस ईश्वर का कभी अंत नहीं होता। हमारे संत जन कहते हैं कि उसी अविनाशी ईश्वर को जानना मानव का लक्ष्य है। जब तक इंसान अपने लक्ष्य के साथ नहीं मिल जाता तब तक उसके जीवन में चैन नहीं होना चाहिए। मानव तन की तुलना हमारे महापुरूष एक नदी से करते है। जैसे एक नदी सदैव तेज वेग के साथ सागर से मिलने की इच्छा धारण कर दौड़ती ही रहती है वह इंसान को प्ररेणा दे रही है। जब तक अंश अपने अंशी से न मिल जाए तब तक उसे चैन नही होना चाहिए।

विचारों को आगे बढ़ाते हुए साध्वी जी ने कहा कि उस न समाप्त होने वाले ईश्वर से मिलन करने के लिए हमें धर्म को जानना पड़े और धर्म को समझने के लिए अध्यात्म को प्राप्त करना होगा। संभव हो सकता है कि हम कण-कण में व्याप्त उस प्रभु का दर्शन अपने घट भीतर में कर सकें। जब ब‌र्ह्मज्ञान को प्रदान करने वाले पुर्ण संत सतगुरू का आगमन हमारे जीवन में होगा तभी एक शिष्य अंर्तमन में सदैव उस ईश्वर का दर्शन कर सकता है। जीवन में हम चाहे कितने भी नव बर्ष मना लें लेकिन उस अविनाशी ईश्वर का दर्शन न किया तो व्यार्थ में जीवन को गवा इस संसार को अलविदा कह कर चले जाएगें। इस लिए जीवन के उत्थान का प्रथम मार्ग संत की कृप्पा से ब‌र्ह्मज्ञान प्राप्त करना तभी जीवन सफल है।

इस अवसर पर साध्वी कृष्णप्रीता भारती, साध्वी प्रीती भारती के द्वारा भजनों का गायन भी किया गया।


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