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उधारी पर टिकी गांवों की अर्थव्यवस्था

संवाद सहयोगी, नवांशहर एक महीना हो चुका है नोटबंदी को लेकिन आज भी बैंकों के आगे लंबी लंबी कतारें ल

By Edited By: Published: Thu, 08 Dec 2016 04:59 PM (IST)Updated: Thu, 08 Dec 2016 04:59 PM (IST)
उधारी पर टिकी गांवों की अर्थव्यवस्था

संवाद सहयोगी, नवांशहर

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एक महीना हो चुका है नोटबंदी को लेकिन आज भी बैंकों के आगे लंबी लंबी कतारें लग रही है। शहर की बैंकों में तो लोगों को थोड़ी बहुती नकदी मिल जाती है लेकिन गांवों में स्थित प्राइवेट व सरकारी ब्रांचों का बुरा हाल है। अब लोग घर का सामान लेने के लिए उधारी कर रहे हैं जबकि दुकानदारों ने अब उधार देना बंद कर रहा है। गांवों की बैंकों में कभी कभार ही पैसा भेजा जाता है जिसके चलते गांव के लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। आरबीआई ने गांवों में स्थित कोआपरेटिव सोसायटियों में लेनदेन बंद कर दिया है जिसके चलते गांववासियों को शहरों की ओर अपना रुख करना पड़ रहा है। नोटबंदी को लेकर अब लोगों के सब्र का बांध टूटने लगा है। गहरी धुंध के बावजूद लोग सुबह 7 बजे बैंकों की लाइनों में लग रहे हैं। लोगों को अपना पैसा लेने के लिए गांवों में स्थित बैंकों से पैसे शहरों की बैंकों में ट्रांसफर करवाए जा रहे हैं ताकि उन्हें कुछ तो नगदी मिल सके।

किसानों के लिए परेशानी

नोटबंदी के चलते जहां लोगों को घर चलाना मुश्किल होता जा रहा है वहीं दूसरी तरफ किसान भी इससे परेशान है। फसलों के लिए बीज लेने के लिए किसानों को पैसे नहीं मिल रहे। गांव बेगमपुर निवासी किसान अमरीक ¨सह ने कहा कि किसानों को यदि बीज खरीदना है तो वह क्या करे। सभी किसानों के पास चेकबुक या एटीएम कार्ड नहीं है। एसबीआई को छोड़कर अन्य बैंकों में 2 या 4 हजार रुपये ही मिल रहे हैं जिससे किसानी करनी बेहद मुश्किल है। खाद खरीदने के लिए डीलरों को तो नकद ही देनी पड़ती है। उन्हें बीज डीलरों से उधार खरीदना पड़ रहा है।

लोगों की परेशानी

राहों के नजदीकी गांव कोट रांझा के निवासी नौजवान अवतार चंद का कहना है कि प्रधानमंत्री न¨रदर मोदी का फैसला काफी सराहनीय है लेकिन सिस्टम में कमी होने के चलते लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अवतार ने कहा कि नोटबंदी को बेशक एक महीना हो चुका है लेकिन आज भी बैंकों के आगे कतारें लग रही है।

गांव कोट रांझा के सुख¨वदर निगाह का कहना है कि प्रधानमंत्री न¨रदर मोदी ने नोटबंदी कर शहरों की बैंकों में तो पैसे भेज दिए लेकिन गांवों में स्थित ब्रांचों में पैसा नहीं भेजा जिसके चलते गांवों के लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। यदि किसी के पास 2 हजार का नोट है तो वो 10 रुपए की कोई चीज नहीं खरीद सकता। 2 हजार के नोट की चेंज देना बहुत मुश्किल है।


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