11,12) इस बार नेशनल में गोल्ड मैडल पाने का लक्ष्य : मनप्रीत
जागरण संवाददाता, नवांशहर : मेरा सपना वुशू के इंटरनेशनल कंप्टीशन में गोल्ड मैडल हासिल कर देश का नाम द
जागरण संवाददाता, नवांशहर : मेरा सपना वुशू के इंटरनेशनल कंप्टीशन में गोल्ड मैडल हासिल कर देश का नाम दुनिया रोशन करना है। यह सपना देख रही है स्थानीय दोआबा आर्य सीनियर सेकेंडरी स्कूल की कक्षा दस की पंद्रह वर्षीय छात्रा मनप्रीत कौर। मनप्रीत ने बीते बुधवार को शहीद भगत ¨सह नगर के बलाचौर उपमंडल में संपन्न हुई राज्यस्तरीय वुशू प्रतियोगिता में गोल्ड मैडल जीता है। छोटे कद काठी की मनप्रीत कौर ने बड़े ही कोमल अंदाज में कहा कि अभी तो शुरुआत है, मैंने बीते साल मध्यप्रदेश के जब्बलपुर में आयोजित वुशू की नेशनल प्रतियोगिता में सिल्वर जीता था। इस बार मैं पूरी तैयारी से जाउंगी, क्योंकि बलाचौर में आयोजित राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में चार राउंड हुए थे। इससे पहले जिला स्तरीय मुकाबले में भी गोल्ड हासिल कर चुकी हूं। इसमें भी चार राउंड हुए थे, सभी राउंड में मैंने अपने प्रतिद्वंद्वियों को बड़ी आसान के साथ पंच जड़े और गोल्ड मैडल को अपने गले की शोभा बनाई। स्कूल के प्रधानाचार्य रा¨जदर गिल खुद भी बैड¨मटन के राष्ट्रीय खिलाड़ी और अंतरराष्ट्रीय अंपायर रह चुके है, उन्हीं के प्रयासों का सुखद परिणाम है कि इस बार स्कूल ने विभिन्न खेलों में कई मैडल जीते है। वह जिला में बैड¨मटन जैसे खेल को और भी बढ़ावा देने के मकसद से बच्चों को फ्री को¨चग देते है। वह बोले की मनप्रीत कौर नि:संदेह खेल का जज्बा कूट कूट कर भरा हुआ है है, मात्र एक साल का ही अरसा हुआ है, जब इसने वुशु जैसे गेम में रुचि दिखाई। और कुछ महीनों की प्रैक्टिस में ही राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में सिल्वर मैडल पहले ही बार में जीता है। मानसा में 2014 की राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में गोल्ड मैडल विजेता रही है, उसके बाद यह जबलपुर में नेशनल 2014 खेलने गई थी, वहां से सिल्वर मैडल जीतकर आई थी। इस बार बलाचौर में आयोजित राज्यस्तरीय प्रतियोगिता 2015 में भी गोल्ड मैडल जीत कर लाई है। जब मनप्रीत कौर से पूछा कि बुशु ही क्यों..कोई और गेम क्यों नहीं.के उत्तर में बोली गेम के साथ साथ आत्मरक्षा का भी सुगम साधन है। जबसे इस गेम को खेलना शुरु किया है, मेर आत्म विश्वास में बढ़ोत्तरी हुई, अब तो डर का एहसास भी करीब करीब गायब हो गया है। नहीं तो समाचारों में लड़कियों जो सुनती और पढ़ती थी, उसने ऐसा डर पैदा कर दिया था कि दिन में अकेले स्कूल आने में सारे रास्ते डर की दहशत बनी रहती थी। लेकिन अब ऐसा नहीं महसूस होता है। अंत में वह बोली कि बस मेरा सपना इंटरनेशनल कंप्टीशन में भाग लूं, और गोल्ड मैडल जीतूं..।