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स्टीविया फार्मिंग ने दिलाई पहचान

अशोक ¨सह भारत, नवांशहर शहीद भगत ¨सह नगर के उपमंडल बंगा में इनकम टैक्स की प्रैक्टिस करने वाले एडवो

By Edited By: Published: Sat, 18 Apr 2015 07:20 PM (IST)Updated: Sat, 18 Apr 2015 07:20 PM (IST)
स्टीविया फार्मिंग ने दिलाई पहचान

अशोक ¨सह भारत, नवांशहर

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शहीद भगत ¨सह नगर के उपमंडल बंगा में इनकम टैक्स की प्रैक्टिस करने वाले एडवोकेट राजपाल गांधी ने स्टीविया की फार्मिग में अग्रणीय सोच के चलते गुजरात जैसे विकसित राज्य में भी अपनी स्वीट रेव्यूलेशन का परचम लहराया है। इसके चलते ही उन्हें गुजरात में 25 सौ एकड़ में स्टीविया की फार्मिंग का अवसर मिला है। इसके लिए बकायदा इसका एमओयू 12 जनवरी 2015 को बोर्ड के सीईओ डॉ. जगदीश चंद ने साइन किया है।

गौर हा कि स्टीविया से बनने वाले प्रोडक्ट हनीलीफ व व्हाइट पाउडर की देश विदेशों में धूम है। राजपाल गांधी की इस सफलता का श्रेय केंद्र व राज्य सरकार को दे रहे हैं, क्योंकि इस उपक्रम व फार्मिग में उनके जीवीएम बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड को वित्तीय सहायता एसबीआरआइ योजना के तहत डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलाजी मिनिस्ट्री आफ साइंस एंड टेक्नोलाजी नई दिल्ली द्वारा मिला। यह देश में अपनी तरह की पहली यूनिट है। अपनी सफलता के संदर्भ में उन्होंने कहा कि जिस तेजी से दुनिया में मधुमेह पैर पसार हा है उसके अनुपात में शुगर का विकल्प बहुत जरूरी हो गया है। बस इसी विचारधारा ने मुझे यहा फार्मिग अपनी ओर खींच लाई। 2005-2006 में मैंने मात्र 6 एकड़ में स्टीविया की फार्मिग शहीद भगत ¨सह नगर के कंडी बाहुल्य क्षेत्र पोजेवाल में शुरु की। 2009-10 में वित्तीय सहायता के लिए मिनिस्ट्री आफ साइंस एंड टेक्नोलाजी, नई दिल्ली से संपर्क साधा, और सफल रहा। उन्होंने हमारे प्रोजेक्ट को पास किया और इसके साथ ही फार्म हाउस में डीएमआइआर से रजिस्टर्ड लैब स्थापित की। इसके बाद पोलीहाउस की सहायता से 2011-12 हाईटेक नर्सरी स्थापित की, 2012-13 में कामर्शियल प्लांट क्लचर लैब स्थापित करने के साथ व्यवसायिक स्तर पर इसकी यूनिट स्थापित करना शुरू किया। 20014-15 में उच्चस्तरीय उत्पादन यूनिट काम करने लगी। उन्होंने कहा कि कंडी क्षेत्र में स्टीविया की फार्मिग में अपार संभावनाएं हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने आसपास के क्षेत्रों के करीब पांच सौ किसानों का एक समूह स्टीविया की खेती के लिए प्रेरित कर तैयार किया है।

उन्होंने बताया कि हनीलीफ हमारी ग्रीन टी है, जोकि स्टीविया की सूखी पत्तियों से बनता है और इसके अलावा व्हाइट पाउडर भी है, जोकि शुगर का प्राकृतिक विकल्प है। इसके साथ ही इनका दावा है कि स्टीविया की फार्मिग में आर्गेनिक खादों का ही प्रयोग करते हैं। कीटाणुओं से लड़ने के लिए नीम के पत्तों और उसके उत्पादों का सहारा लेते हैं।

अब तक मिली उपलब्धि

राष्टीय स्तर का एग्रीकल्चर लीडरशिप अवार्ड 2014, जोकि कृषि के क्षेत्र में काफी बड़ा सम्मान है, यह नेशनल सेंटर फार कोल्ड चैन डेवलपमेंट के लिए मिलता है। इंवायरामेंट लीडरशिप आइटीसी लिमिटेड, प्रोग्राम लीडरशिप-डिपार्टमेंट आफ एग्रीकल्चर गवर्नमेंट आफ तमिलनाडू, रिसर्च लीडरशिप, डॉ. केएमएल पाठक डीडीजी एनीमल साइंस आइसीएआर, एकेडमिक लीडरशिप, नेशनल एकेडमी आफ एग्री रिसर्च मैनेजमेंट हैदराबाद, डेवलपमेंट लीडरशिप, यूपी एग्रीकल्चर मार्केटिंग बोर्ड, इंटरनेशनल लीडरशिप डा. थामस लुम्पकिन डीजी सीआईएमएमवाईटी मैक्सिको, इंडस्ट्री लीडरशिप डाबर आयुर्वेदिक लिमिटेड, कार्पोरेट लीडरशिप कैरोमंडल इंटरनेशनल लिमि., स्टेट हॉर्टीकल्चर लीडरशिप व उत्तराखंड सरकार और स्टेट एग्रीकल्चर लीडरशिप गुजरात सरकार द्वारा मिल चुका है। इसके अलावा पंजाब सरकार द्वारा स्टेट अवार्ड फार प्रमोशन स्टीविया क्रॉप डाइवसीर्फिकेशन 15 अगस्त 2014 को और सबसे प्रमुख अवार्ड नेशनल अवार्ड फार कल्टीवेशन आफ स्टीविया फार्मिंग इन इंडिया का डॉ. एमएस स्वामीनाथन की संस्तुति पर राज्यसभा सदस्य पीजे कुरियन द्वारा 27 सितंबर 2014 को मिला। कृषि विज्ञान के क्षेत्र में डॉ. एमएस स्वामीनाथन को फादर आफ इंडिया ग्रीन रिव्यूलेशन के रूप में जाता है।


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