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इनकम टैक्स स्लैब का न बढ़ने से लोगों में निराशा

इंट्रो केंद्र सरकार के वित्तमंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को जो बजट पेश किया है, उसे लेकर मध्यम वर्ग

By Edited By: Published: Sat, 28 Feb 2015 08:31 PM (IST)Updated: Sat, 28 Feb 2015 08:31 PM (IST)
इनकम टैक्स स्लैब का न बढ़ने से लोगों में निराशा

इंट्रो

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केंद्र सरकार के वित्तमंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को जो बजट पेश किया है, उसे लेकर मध्यम वर्ग के व्यापारी, नौकरी पेशा और दुकानदारों में इनकम टैक्स के स्लैब को न बढ़ाए जाने को लेकर निराशा रही है। किसान वर्ग को इस बजट में थोड़ी राहत मिली है, जिससे वे खुश हैं। हाई प्रोफाइल और राजनीतिक सोच वाले इसे दूरदर्शी सोच वाला बजट करार दिया है। महिलाओं ने इसे पब्लिक पर बोझ बढ़ाने पर बजट करार दिया है। आम बजट पर जयदेव गोगा की रिपोर्ट।

केंद्र सरकार की ओर से लंबे समय के लाभ को ध्यान में रखकर बजट पेश किया गया है। सरकार के अच्छे बजट का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि शेयर मार्केट ने काफी ज्यादा उछाल लिया है। सरकार के इस बजट से इंडस्ट्री व आम आदमी को काफी लाभ होने की संभावना है।

गुरचरण अरोड़ा, व्यापारी।

एक्साइज ड्यूटी बढ़ने का पहले से ही अंदेशा था। फिर भी हम इसका वेलकम करते हैं। सरकार चलाने के लिए पैसा चाहिए, टैक्स स्लैब बढ़ने की उम्मीद थी, लेकिन उस पर पानी फिर गया।

संजीव खोसला, व्यापारी।

सर्विस टैक्स बढ़ने से सब कुछ महंगा हो जाएगा। रेस्टोरेंट और होटल जाने वालों की जेब और ढीली होगी। रेल व एयरलाइन का सफर महंगा हो जाएगा। हम लोग घूमने फिरने के शौकीन है। हमारा बजट बिगड़ जाएगा।

राजेश गाबा, व्यापारी।

अच्छे दिन आने वाले हैं। सरकार चलानी है तो टैक्स बढ़ाना ही पड़ेगा। हमें सहूलियतें तो टैक्स से ही मिलेंगी। 310 करोड़ की राशि मेक इन इंडिया से वैश्विक निवेश में सहायता मिलेगी, लेकिन कैसे।

दीपक कुंदरा, व्यापारी।

हमें उम्मीद थी कि इनकम टैक्स का स्लैब बढ़ना तय था, लेकिन हमारी भी उम्मीदों पर पानी फिर गया। सर्विस टैक्स बढ़ने से टेलीफोन बिल, इंश्योरेंस करवाते हैं तो उसका भी बजट बढ़ जाएगा।

सुनील बहल, व्यापारी।

सरकार ने एक हजार से ऊपर के जूते पर टैक्स कम किया है। इससे जूता सस्ता होगा। सर्विस टैक्स बढ़ाना नहीं चाहिए था। अगर जीएसटी लगाना है तो सर्विस टैक्स बढ़ाने का क्या फायदा।

गोपाल मोहन शारदा, व्यापारी।

जूते पर टैक्स कम होने से करप्शन कम होगा, लोग खुशी खुशी सामान खरीदेंगे और टैक्स भी देंगे। देश में बना मोबाइल फोन सस्ता होगा, यह मेक इन इंडिया के नजरिए से अच्छा कदम है।

अश्वनी कुमार, व्यापारी।

हमें उम्मीद थी कि इनकम टैक्स का स्लैब बढ़ेगा, उम्मीद रखते हैं कि सरकार नई है, अच्छे दिन जल्दी ही आएंगे। सर्विस टैक्स का बढ़ना उत्साहजनक नहीं रहा है। मध्यम वर्गीय लोगों के लिए कोई खास नहीं कहा जा सकता है।

संजीव कुमार, व्यापारी।

एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट पर दो प्रतिशत ड्यूटी कम करने से कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा। हां इससे रेट में डिमांड बढ़ने पर रेट में तेजी भी आ सकती है। वैसे भी सोने के मामले में पहले से कुछ अनुमान लगाना संभव नहीं है। चलिए दो परसेंट ड्यूटी में कमी अच्छी पहल है।

-अशोक कुमार वर्मा, व्यापारी।

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केंद्र की मोदी सरकार की ओर से जो बजट पेश किया गया है, वह बहुत बढि़या नहीं है। बजट में किसानों का स्तर उठाने पर कुछ खास नहीं दिया गया। किसानों की फसलों का न्यूनतम मूल्य तय किया जाना चाहिए था। इसके साथ ही मृदा सेहत कार्ड की बात को कुछ हद तक समझा जा सकता है।

नरिंदर पाल करीहा, किसान।

कृषि उत्पाद पर ढुलाई को लेकर सर्विस टैक्स नहीं लगाने का लाभ हमलोगों को नहीं मिलने वाला है। इसमें किसानों के हितों को पूरी तरह से नजर अंदाज किया गया है। कृषि उन्नत योजना में 3257 करोड़ की राशि से हम किसानों को क्या मिलेगा। बजट को लोक लुभावन भी नहीं कह सकता हूं। फसल बीमा की राशि 2589 करोड़ करने से क्या होने वाला है, जब तक अधिकारियों में नैतिक सुधार नहीं होगा।

- सरवन सिंह, किसान।

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सरकार की ओर से जो दो प्रतिशत सरचार्ज बढ़ाया गया है, उससे हर वस्तु महंगी होना तय है। अंतराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतों में कमी होने के बावजूद कोई भी वस्तु सस्ती नहीं हो पाई है।

- नवीन उम्मट, दुकानदार।

सरकार की ओर से पेश किया गया बजट बहुत ज्यादा आकर्षक नहीं कहा जा सकता है। सरकार द्वारा पेश किए गए बजट से चीजें सस्ती कम, मंहगी ज्यादा होंगी। सर्विस टैक्स बढ़ाने के बाद जीएसटी की क्या जरूरत है।

रोहित जैन, दुकानदार।

सीनियर सिटीजन का तीन लाख तक का छूट देना अच्छा कदम है। सरकारी सर्विस वालों के लिए ट्रैवलिंग एलाउंस आठ सौ से सोलह सौ होना अच्छी पहल है। इनकम टैक्स स्लैब को बढ़ाना चाहिए था, ऐसा नहीं होने से उम्मीदों पर पानी फिरा है।

ओम प्रकाश, दुकानदार।

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वित मंत्री अरुण जेटली की ओर से मध्यम वर्ग के लोगों को अपना ध्यान खुद रखने की कही गई बात बेहद गलत है। केंद्र सरकार ने अपना बजट औद्योगिक घरानों को ज्यादा केंद्रित करके बनाया है। देश में मध्यम वर्ग के लोगों की भी संख्या बेहद ज्यादा है। ऐसे में सरकार को निचले वर्ग व मध्यम वर्ग के बारे में ज्यादा सोचना चाहिए था।

- अंकुश, मध्यम वर्गीय व्यक्ति।

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नौकरीपेशा के लिए अच्छा है कि टीए का आठ सौ से सोलह सौ किया गया है। पेंशन व ईपीएफ का विकल्प चुनने की बात अच्छा कदम है। वैल्थ टैक्स खत्म हो गया। सर्विस टैक्स का बढ़ना महंगाई को बढ़ावा देगा।

- सुखविंदर सिंह भंग, टैक्स सलाहकार।

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सर्विस टैक्स बढ़ा है, पर एक फीसदी से कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा। लोगों को ईमानदारी से टैक्स देना चाहिए। इसमें आम श्रेणी के एनआरआइ के कोई खास बात नहीं कही गई है। वैसे भी आम आदमी के नजरिए से इसे ठीक कहा जा सकता है।

- हरभजन सिंह, एनआरआइ।

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बजट सराहनीय है, गरीब पर टैक्स का कोई बोझ नहीं पड़ा है। उसकी रोजी रोटी का पूरा ख्याल रखा गया है। एक डाक्टर के नजरिए से इसमें दवाओं के सस्ते होने का कोई रास्ता नजर नहीं आया है। इस पर कोई सशक्त पहल होनी चाहिए थी, ताकि देश के गरीब वर्ग को सस्ती चिकित्सीय सुविधा मिल सके।

डॉ. अश्वनी धीर।

इनकम टैक्स का स्लैब बढ़ जाता तो मध्यम वर्ग के लिए ज्यादा अच्छा होता। गरीबों पर टैक्स का कोई बोझ नहीं पड़ा है। कृषि उत्पाद की ढुलाई पर सर्विस टैक्स में छूट अच्छी बात है। इससे किसानों को लाभ मिलेगा और अनाज के दामों पर भी असर पड़ेगा।

- डॉ. नितिन।

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महिलाओं की सुरक्षा के लिए एक हजार करोड़ का फंड ठीक तो है, पर देश में महिलाओं पर हो रहे अपराध की घटनाओं को देखते हुए क्या इनकी सुरक्षा के कारगर उपाय के लिए इतनी राशि उपयुक्त है। राशि चाहे जितनी बढ़ा दी जाए, अपराध पर नियंत्रण के लिए कुछ ठोस पहल समझ से परे है।

कामिनी गोगा, गृहिणी।

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किसान, व्यापारी और कृषि के बारे में तो बहुत कुछ प्रावधान दिख रहा है, लेकिन महिलाओं के लिए किचन और उनकी सुरक्षा की बात को बड़ी गंभीरता से नहीं लिया गया है। महिलाओं की सुरक्षा निर्भया फंड के नाम तक ही सीमित रह गई है।

मीनाक्षी शर्मा, शिक्षिका।


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