पुलिस ने हाइकोर्ट को बताई गामी मामले की स्थिति
जागरण संवाददाता, नवांशहर जिले की पुलिस ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में गुरनाम सिंह गामी के मामले
जागरण संवाददाता, नवांशहर
जिले की पुलिस ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में गुरनाम सिंह गामी के मामले में प्रगति दिखाई है। इस मामले की सुनवाई सोमवार को जस्टिस एमएमएस बेदी ने की। अदालत में पुलिस की ओर से थाना सदर नवांशहर के एसएचओ प्रेम सिंह हाजिर हुए। अब अगली सुनवाई 31 अक्टूबर को है।
वकील नवकिरण सिंह के अनुसार जालंधर के थाना फिल्लौर के गांव लसाड़ा निवासी गुरचरण सिंह ने हाइकोर्ट में अपने बेटे को जालंधर पुलिस द्वारा उठाए जाने के खिलाफ याचिका दायर की थी। 21 अक्टूबर को हाईकोर्ट ने नवांशहर पुलिस को इस मामले लसाड़ा पुलिस चौकी के इंचार्ज पर केस दर्ज करने के आदेश दिए थे। गुरनाम का पता लगाने की जिम्मेदारी भी तय की थी। 27 अक्टूबर तक मामले की प्रगति बताने को कहा था। अदालत में जिला पुलिस ने कहा कि गुरनाम सिंह गामी पर पहले भी छह मामले चल रहे हैं। 22 अक्टूबर को जिला जालंधर के मकसूदां थाना पुलिस ने गामी को अवैध पिस्तौल सहित गिरफ्तार किया है। गामी इस समय जेल में बंद है।
वकील नवकिरण सिंह ने कहा कि पुलिस ने 22 अक्टूबर के अदालत के आदेश को हलके में ले चौकी इंचार्ज पर मामला भी दर्ज नहीं किया है। पुलिस द्वारा हाइकोर्ट में सौंपी गई रिपोर्ट को चुनौती दी जाएगी।
गौर हो कि 15 अक्टूबर को जालंधर के गांव लसाड़ा निवासी गुरचरण सिंह ने एसपी (डी) दिलवाग सिंह पन्नू को शिकायत दी थी। उसका आरोप था कि 13 अक्टूबर को जिला जालंधर की लसाड़ा पुलिस चौकी इंचार्ज कथित तौर पर उसके बेटे गुरनाम सिंह गामी को नवांशहर के गांव उड़ापड़ से उसकी बीज की दुकान से उठा ले गई थी। सूचना मिलने पर वह कुछ लोगों को अपने साथ लेकर लसाड़ा चौकी पहुंचे, लेकिन उन्हें उनका बेटा नहीं मिला। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट के माध्यम से वारंट अफसर लेकर लसाड़ा पुलिस चौकी, फिल्लौर पुलिस थाने सहित जालंधर के सीआइए स्टाफ में चेकिंग करवाई। वहां भी गुरनाम नहीं मिला, जबकि पुलिस ने हाईकोर्ट की टीम को लिखकर दिया था कि उसकी किसी केस में जरूरत नहीं है। गुरचरण सिंह ने आशंका जताई कि पुलिस कर्मचारी उसके बेटे को गलत केस में फंसा रहे हैं। उसकी जान को भी खतरा है।
यहां यह भी बता दें कि शिकायतकर्ता गुरचरण सिंह के अनुसार जालंधर पुलिस ने उसके बेटे को हिरासत में लेते समय नवांशहर पुलिस को भी सूचित नहीं किया। इसी कारण वह अदालत की शरण में गए।