बारिश से मटर व आलू की फसल को नुकसान
सनप्रीत सिंह मांगट, नवांशहर जिले में पिछले सप्ताह हुई बारिश ने सब्जी उत्पादकों के माथे पर शिकन ला
सनप्रीत सिंह मांगट, नवांशहर
जिले में पिछले सप्ताह हुई बारिश ने सब्जी उत्पादकों के माथे पर शिकन ला दी। खेती माहिरों का मानना है कि यह नुकसान बारिश के बाद ज्यादा तापमान होने कारण किसानों को हो रहा है। इसके लिए किसान अपनी फसल को बचाने के लिए पानी देने का खास ध्यान रखे। ऐसे में सिंचाई के लिए डीजल का खर्च भी पड़ेगा ही। कई को तो दोबारा बिजाई करनी पड़ गई है। अक्टूबर माह के शुरू से ही किसानों द्वारा मक्की व धान के खाली हुए खेतों में मटर, आलू व अन्य सब्जियों की बिजाई जोर शोर से की जा रही थी, लेकिन किसानों द्वारा बिजाई की गई मटर व आलू की फसल पर बीते सप्ताह हुई वारिश से जमीन सक्त हो जाने कारण किसान चिंतत है। क्योंकि किसानों ने करीब 25 हजार रुपये प्रति एकड़ का खर्चकर आलू की पसल बीजी है और करीब 15 हजार रुपये का खर्चकर मटर की फसल की बिजाई करी है। इतना खर्च करने के बाद किसानों की कमाई फसल के तैयार होने पर मंडी में मिलने वाले उचित पैदावार व उचित मूल्य पर ही निर्भर होती है। किसानों का मानना है कि फसल की जर्मीनेशन कम होने कारण उत्पादन में हुई कमी से इस वार यह फसलें किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित होंगी।
हरपाल सिंह ढिल्लों ने बताया कि किसान भारी खर्च कर ज्यादा कमाई करने के चक्कर में आलू की फसल की बिजाई कर रहे हैं, लेकिन सप्ताहभर पहले हुई बारिश का बुरा असर पड़ेगा। अगर सिंचाई करके फसल को बचाने की कोशिश की जाती है तो खर्च और भी बढ़ेगा।
किसान लखवीर सिंह ने बताया कि इस बार आलू के बीज का भाव प्रति कंट्टा एक हजार से ऊपर ही रहे हैं। प्रति एकड़ करीब 20 हजार रुपये का बीज ही डाला गया है। इसके अलावा बहाई, बिजाई की लेबर व खाद का खर्च आया है। बारिश से होने वाले नुकसान की भरपाई आने दो-तीन वर्ष तक मुश्किल है।
गांव मीरपुर जट्टा के किसान कशमीर सिंह ने बताया कि उनके गांव में ज्यादातर किसानों द्वारा मटर की फसल की बिजाई बीते माह में ही कर ली गई थी। कई लोगों ने तो द्वारा मटर का बीज 90 रुपये प्रति किलो लेकर डाला है। प्रति एकड़ करीब छह हजार रुपये की अधिक खर्च हुआ है।
इस संबंध में जिला बागवानी अधिकारी डॉ. जगदीश सिंह ने बताया कि जिले में करीब 2225 हेक्टेयर में मटर व 2345 हेक्टेयर रकबे में आलू की काश्त बीते वर्ष की गई थी। इस वर्ष अब तक इसकी 60 फीसद तक ही बिजाई हुई है और बाकी की जारी है। फसलों की बिजाई का रकबा बढ़ने का अनुमान है। जिन किसानों की फसल पर बारिश हुई है, वह किसान फसल को पानी लगाएं। किसान जमीन को नर्म करने के लिए पानी या गुड़ाई का सहारा ले सकते हैं।