क्या सिर्फ पैसे वसूली था फूड सेफ्टी एक्ट का मकसद?
योगेश मल्होत्रा, बलाचौर
शहर में फूड सेफ्टी एक्ट को लागू करना सेहत विभाग के लिए टेढ़ी खीर बनी हुई है। लोगों से सिर्फ पैसे जमा करवाना फूड सेफ्टी एक्ट का सरकार का मकसद नहीं था, लेकिन संबंधित लोग कुछ समझते ही नहीं। इसी के चलते बीमारियों की बिक्री खुलेआम हो रही है। बेलगाम भी हो रही है।
शहर में पिछले कुछ समय से खाने पीने की कई दुकानें खुली, लेकिन सफाई व्यवस्था रामभरोसे है। जहां खाने-पीने की चीजें बनती हैं, वहां खड़ा होना भी मुश्किल होता है। लगाम लगाने वालों को खुद इसके बारे में ज्ञान नहीं कि शहर के हर चौक-चौराहे की दुकानों व रेहड़ियों पर मौजूद खाने-पीने की चीजें किस माहौल में तैयार होकर लोगों के मुंह तक पहुंचती हैं। गजब की बात है कि शहर की मिठाई वाली, कन्फेक्शनरी आदि की दुकानों की कई महीने से चेकिंग नहीं की गई। ऊपर से त्योहारों के दिन आने वाले हैं, जबकि खानपूर्ति के लिए चेकिंग की जाएगी। कई दुकानों पर माल एक्सपायर होने की बातें भी सामने आती हैं।
शहर के लोगों द्वारा सेहत विभाग से अपील की है कि खाने पीने की वस्तुएं बेचने वाले दुकानदारों व रेहड़ी वालों की समय-समय पर चेकिंग की जानी चाहिए।अगर किसी दुकान वाले के पास गलत माल बरामद होता है, चाहे वह खराब हो या एक्सपायर हो तो उसके खिलाफ भारी जुर्माना या सजा होनी चाहिए।
उधर इस संबंध में डीएचओ गरजा सिंह ने कहा कि उनकी टीम समय-समय पर चेकिंग करती है। कोई गलत दुकानदार पाया जाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होती है। फिर भी वह एसएमओ सुनील पाठक को आदेश देंगे कि सभी दुकानदार जो खाने पीने का सामान बेचते हैं, वहां चेकिंग की जाएगी।