'अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है हिंदी'
जयदेव गोगा, नवांशहर
तमाम रुकावटों और विपरीत परिस्थितियों के बावजूद हिन्दी अगर देश-विदेश के अंदर सहस्त्र धाराओं में अलग-अलग माध्यमों से प्रस्फुटित हो रही है, तो कोई शक नहीं कि हिन्दी में कोई खूबी अवश्य है। इसी संबंध में हिन्दी दिवस के अवसर पर दैनिक जागरण ने क्षेत्र के प्रबुद्ध वर्ग के लोगों से बातचीत की।
सेवानिवृत्त हिन्दी अध्यापक डा. बृज मोहन बड़थ्वाल कहते हैं कि भाषा विचारों को अभिव्यक्त करने का एक सशक्त माध्यम है। हिन्दी एक समृद्ध भाषा है, जिसके पास उसकी बोलियों की बहुत बड़ी ताकत है। हिन्दी के अंदर यह एक सबसे बड़ी खूबी है कि वह सहज ढंग से स्वीकार्य सभी शब्दों को समाहित करने की क्षमता रखती है।
कंप्यूटर टीचर कमलजीत कौर का मानना है कि इंटरनेट ने हिन्दी भाषा और सोच को एक नई जीवन रेखा दी है। हिन्दी के ब्लाक और सोशल मीडिया ने हमारी स्मृति को लुप्त होने से बचा लिया है। हिन्दी के विकास और प्रसार व अभिव्यक्ति को लेकर यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
सीनियर सेकेंडरी स्कूल नवांशहर के वाइस प्रिंसीपल जगदीश राय ने कहा कि हिन्दी राष्ट्रभाषा ही नहीं, संयुक्त राष्ट्र संघ में जाने योग्य स्थान रखती है। हिन्दी केवल भारत में ही नहीं, पाकिस्तान, नेपाल, मारीशस, त्रिनिनाद, सूरिनाम, फीजी, गायना, बांग्लादेश व अन्य कई देशों की बहुसंख्यक जनता द्वारा बोली समझी जाती है।
रिटायर्ड मुख्य अध्यापक देसराज सिलियारा का मानना है कि हिन्दी भाषा का भारत को आजाद करवाने में सबसे बड़ा योगदान रहा है। यह राष्ट्रीय आंदोलन की भाषा रही है। बंगाली होने के बावजूद नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने कांग्रेस अध्यक्ष की हैसियत से अपना भाषण हिन्दी में दिया था और उसके बाद भी वह सभी जगह सार्वजनिक भाषण हिन्दी में ही दिया करते थे। महात्मा गांधी ने भी गुजरात वासी होने के बावजूद आजादी के आंदोलन में विश्व को अपना संदेश हिन्दी में ही दिया। इसी तरह अनेक क्रांतिकारियों ने हिन्दी भाषा को अपना माध्यम बनाया।
सरकारी मिडिल स्कूल के हैड मास्टर सुरेश शास्त्री का कहना है कि पंजाब के अंदर गुरुकाल से ही हिन्दी फल फूल रही है। गुरु गोबिंद सिंह जी के दरबार में 52 हिन्दी के विद्वान थे। गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपनी आत्म कथा विचित्र नाटक हिन्दी में लिखी। गुरु ग्रंथ साहिब के दर्जनों वाणीकार हिन्दी के ज्ञाता थे। हिन्दी के लेखक यशपाल, अज्ञेय, चंद्रधर शर्मा गुलेरी, मोहन राकेश आदि पंजाब के जाने माने साहित्यकार थे।
रिटायर्ड हिन्दी अध्यापिका किरण जैन का मानना है कि हिन्दी को शिखर तक पहुंचाने के लिए इसमें सरलता लानी बहुत जरूरी है। जो लोग हिन्दी का रोना रोते देखे जाते हैं, उन्हें हिन्दी की वास्तविकता का ज्ञान शायद ही हो। वास्तव में जिसे हम हिन्दी कहते हैं उसमें देश की 17 बोलियों का समाहार है। इनमें कन्नौजी, खड़ी बोली, ब्रज, बांगरू, बुंदेली, अवधी, मारवाड़ी, भोजपुरी, मैथिली, गढ़वाली आदि शामिल हैं। इसके अलावा भी हिन्दी ने दूसरी भाषाओं के कम से कम पांच हजार शब्द अपनाएं हैं।
सरकारी मिडिल स्कूल घक्केवाल के हिन्दी अध्यापक नवनीत पराशर का कहना है कि राष्ट्र को मुख्य धारा से जुड़ने के लिए हिन्दी का ज्ञान आवश्यक है।
प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य मनीष वासुदेव ने कहा कि हिन्दी राष्ट्र भाषा बनने का पूरी तरह सामर्थ्य रखती है। हिन्दी को जिस दिन से राजभाषा की स्वीकृति मिली थी, उसी दिन से सारा कामकाज हिन्दी में चल सकता था। एक बार यह निर्णय ले लिया गया, वर्ष 1965 में सब काम हिन्दी में होगा, तब उसे जरूर अमली रूप दिया जाना चाहिए था।
मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर