चार माह से सब्सिडी के इंतजार में किसान
सरबजीत ¨सह, श्री मुक्तसर साहिब कृषि विभाग की ओर से किसानों को गेहूं के बीज पर इस बार दी
सरबजीत ¨सह, श्री मुक्तसर साहिब
कृषि विभाग की ओर से किसानों को गेहूं के बीज पर इस बार दी जाने वाली सब्सिडी चार माह बीत जाने पर भी नहीं मिली। इससे ं किसानों में रोष पाया जा रहा है। सब्सिडी नहीं मिलने से किसानों का आर्थिक नुकसान भी हुआ है। किसानों ने अपने घर में रखा हुआ गेहूं छोड़कर विभाग से मान्यता प्राप्त बीज खरीदे थे, ताकि अधिक पैदावार ली जा सके, लेकिन इस बार किसानों को गेहूं के झाड़ से पहले ही नुकसान झेलना पड़ रहा है। किसान बार-बार विभाग के कार्यालय के जहां चक्कर काट रहे हैं, वहीं छोटे किसान कुछ अधिक परेशान दिखाई दे रहे हैं।
प्रति किसान मिला था दो क्विंटल गेहूं
कृषि विभाग की ओर से केंद्र सरकार के फूड सिक्योरिटी एक्ट के तहत सब्सिडी स्कीम में प्रति किसान को दो ¨क्वटल गेहूं का बीज दिया गया था। यह बीज किसान को 2500 रुपये प्रति ¨क्वटल के हिसाब से दिया गया था, जिसमें से किसानों को सब्सिडी मिलनी थी। यह बीज किसान को कृषि विभाग का जारी किया फार्म भरने के बाद मिलना था। विभाग की ओर से जिले में करीब 3500 किसानों को यह सब्सिडी वाला बीज दिया गया था। जगदेव ¨सह कानियांवाली का कहना था कि पहलां तां इक्क महीने बाद ही सब्सिडी आ जांदी सी, पर ऐतकी तां कणक वी पक्कन ते आई पई आ। सब्सिडी दा कोई मूंह सिर ई नी बनदा। असीं तां 15 सौ वाली घरे पई कणक छड के महंगी कणक खरीदी सी।
करीब 30 लाख रुपये बकाया है सब्सिडी
किसानों को दी गई गेहूं की सब्सिडी करीब 30 लाख रुपये बनती है। प्रति किसान करीब आठ सौ से लेकर एक हजार रुपये तक सब्सिडी दी जानी है। अधिकतर किसान ऐसे भी हैं जिन्हें विभाग से बीज न लेकर अपने घर में रखे बीज की बुआई की थी। किसान जगदेव ¨सह कनियांवाली व जरनैल ¨सह रोड़ांवाला का कहना है कि सरकार की ओर से दिया गया गेहूं का बीज उन्हें 25 सौ रुपये प्रति ¨क्वटल के हिसाब से मिलता है, जबकि घर में रखा गेहूं 15 सौ रुपये प्रति ¨क्वटल पड़ता है। इस तरह से किसानों का आर्थिक नुकसान हुआ है। पहले कभी भी ऐसा नहीं हुआ था। पहले तो दो माह के बाद ही किसानों की सब्सिडी उनके खाते में आ जाती थी, लेकिन इस बार पता नहीं क्यों इतनी देरी हो रही है। जिस कारण किसान भी निराशा के आलम में है।
यूनिवर्सिटी से मान्यता प्राप्त होता है बीज
ब्लॉक कृषि अधिकारी पाखर ¨सह का कहना है कि कृषि विभाग की ओर से दिया जाने वाला बीज मान्यता प्राप्त होता है। जिसे यूनिवर्सिटी की ओर से प्रमाणित किया होता है। यह बीज कुछ महंगा अवश्य होता है, लेकिन अधिक पैदावार वाला होता है। इस बार देरी तो जरूर हुई है, लेकिन किसानों को उनका पैसा जरूर दिया जाएगा। जिले के 3500 किसानों को उनकी सब्सिडी खाते में पहुंचाई जाएगी।
चुनाव आचार संहिता लागू होने से नहीं मिली सब्सिडी : कृषि अधिकारी
इस बारे में जब जिला कृषि अधिकारी बेअंत ¨सह से बात की कई तो उन्होंने कहा कि इस बार चुनाव आचार संहिता के कारण किसानों को सब्सिडी नहीं मिला पाई है। यह सारी राशि चंडीगढ़ से जारी होगी। विभाग की ओर से नई एप्लीकेशन तैयार की गई थी। जिस पर पूरा डाटा अपलोड तो हो गया है, लेकिन चुनाव आचार संहिता के खत्म होने का इंतजार है। जैसे ही संहिता खत्म होगी उसके साथ ही किसानों के खाते में उनकी सब्सिडी वाली राशि पहुंच जाएगी।