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गैस सिलेंडर न मिला तो धरने पर बैठे

दीपक पाल शर्मा, श्री मुक्तसर साहिब रसोई गैस की किल्लत बढ़ती ही जा रही है। रसोई गैस को ल

By JagranEdited By: Published: Tue, 28 Feb 2017 03:01 AM (IST)Updated: Tue, 28 Feb 2017 03:01 AM (IST)
गैस सिलेंडर न मिला तो धरने पर बैठे
गैस सिलेंडर न मिला तो धरने पर बैठे

दीपक पाल शर्मा, श्री मुक्तसर साहिब

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रसोई गैस की किल्लत बढ़ती ही जा रही है। रसोई गैस को लेकर लोग पिछले करीब एक माह से इंतजार कर रहे हैं। लोग गैस सिलेंडर के लिए सुबह से लाइन में लग जाते हैं, मगर शाम तक इंतजार ही करते रहते हैं और खाली हाथ लौटना पड़ता है।

सोमवार को पनसप गैस एजेंसी में पहुंचे लोगों के सब्र का बांध टूट गया और वे धरने पर बैठ गए। इस दौरान प्रशासन के खिलाफ रोष प्रदर्शन किया।

प्रशासन को कोसते हुए लोगों ने बताया कि गैस की नियमित आपूर्ति के लिए एजेंसियों से कई बार संपर्क करने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं हो रही है। एक तरफ जहां उन्हें गैस नहीं मिल रही है वहीं दूसरी तरफ मिंट्टी के तेल की किल्लत के चलते। परेशानियों का सामना करना पड़ा रहा है।

भारत गैस के तहत काम करने वाली एजेंसी 3 फरवरी से गैस की बु¨कग करवाने वालों को अभी तक गैस नहीं उपलब्ध करवा सकी है, जिसके चलते हालात यह हैं कि अब लोगों को स्टोव य लड़की के सहारे खाना बनाना पड़ रहा है। गैस की आपूर्ति चरमराने का असर शादी-विवाह में भी देखने को मिल रहा है।

पनसप गैस एजेंसी के पास एक फरवरी से लेकर 27 फरवरी तक 85 सौ गैस सिलेंडरों की जरूरत के मुकाबले महज 4752 सिलेंडर ही पहुंचे हैं। ऐसे में गैस के लिए मारामारी होना स्वाभाविक है। एजेंसी के मैनेजर जुगनबीर ¨सह ने बताया कि एजेंसी को 336 सिलेंडरों की अंतिम डिलीवरी 23 फरवरी को की गई थी, जिसके बाद से सोमवार दोपहर तीन बजे तक सिलेंडर की डिलीवरी नहीं होने की वजह से उनके पास 2 हजार गैस सिलेंडरों की होम डिलीवरी की जानी भी बकाया है।

दूसरी ओर घरों में गैस पहुंचाने वाले ठेकेदार सतनाम ¨सह ने कहा कि पिछले एक माह से गैस सिलेंडरों की किल्लत आने के चलते उन्हें भी भारी मुकसान उठाना पड़ा है।

पीछे से नहीं आ रही गैस : सेल अधिकारी

सेल अधिकारी मनोज जोशी से संपर्क किया गया तो उन्होंने भी माना कि करीब 15 फरवरी से उन्हें भी एक चौथाई गैस के टैंकर मिल रहे हैं। उन्हें जहां प्रतिदिन बीस टैंकर गैस की जरूरत है, वहीं पीछे से सप्लाई उनको पांच की ही हो रही है, लेकिन फिर भी एक मार्च तक पूरा तो नहीं कुछ सुधार अवश्य हो जाएगा। यह हालत केवल मुक्तसर में ही नहीं और भी बहुत से शहरों में बनी हुई है।


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