पार्क में शारीरक व्यायाम के साथ मानसिक ज्ञान
सुभाष चंद्र, श्री मुक्तसर साहिब शहर के बीचोंबीच स्थित गुरु गो¨बद ¨सह पार्क शहर का एक मात्र ऐ
सुभाष चंद्र, श्री मुक्तसर साहिब
शहर के बीचोंबीच स्थित गुरु गो¨बद ¨सह पार्क शहर का एक मात्र ऐसा अनोखा पार्क होगा, जहां पर सुबह शाम-घूमने फिरने और आराम करने के साथ पुरुषों व महिलाओं के लिए शारीरिक व्यायाम के लिए अलग-अलग जिम की व्यवस्था की गई है। जिस में निशुल्क में जहां शरीर को चुस्त रखने की व्यवस्था की गई है वह पर ईमानदार किताब घर के नाम से ओपन लाइब्रेरी में जाकर ज्ञान अर्जित कर सकते हैं। यह अनोखा सुमेल रेडक्रॉस सोसायटी के पदाधिकारियों तथा साहित्य प्रेमियों के ख्यालों से बना है। कुछ माह पहले ही हुए इस सुमेल का शहरवासी भी खूब फायदा उठा रहे हैं।
जिम में पुरुषों की भीड़ बढ़ी तो महिलाओं के लिए अलग से स्थापित किया
रेडक्रॉस सोसायटी के करीब ढाई एकड़ जगह में फैले इस पार्क में पांच माह पहले एक जिम की स्थापना की गई। जिसमें अलग-अलग तरह की कसरत के लिए नौ व्यायाम मशीनों को स्थापित किया गया। करीब दस मरला जगह में बनाए गए इस जिम पर लगभग सवा तीन लाख रुपये की राशि खर्च हुई। इसके चालू होने पर कसरत के लिए इतने लोग आने लगे कि महिलाओं के लिए अलग से जिम की व्यवस्था की जरूरत हो गई। इसके तुरंत बाद ही पार्क में महिलाओं के लिए अलग एक जिम स्थापित किया गया। इस पर भी सवा तीन लाख रुपये की राशि खर्च की गई।
डीसी को आया पार्क में जिम खोलने का ख्याल
रेडक्रॉस सोसायटी के सचिव प्रो. गोपाल ¨सह के अनुसार डीसी डॉ. सुमीत जारंगल ने कहीं पार्क में जिम देखा था। एक दिन बैठक के दौरान उन्होंने शहर के लोगों के स्वास्थ्य के मद्देनजर गुरु गो¨बद ¨सह पार्क में जिम स्थापित करने आइडिया सांझा किया। इसके तुरंत बाद ही इस आइडिया को अमल में लाने का फैसला कर जिमों की स्थापना कर दी गई। सोसायटी के प्रोजेक्ट अधिकारी गुरमीत ¨सह बताते हैं कि जिम का करीब एक हजार महिला एवं पुरुष फायदा ले रहे हैं। जबसे जिम खुले हैं, पार्क में लोगों के आने की संख्या में वृद्धि हो गई।
रेडक्रॉस के पास मौजूद रख-रखाव का बजट
सचिव प्रो. गोपाल ¨सह ने बताया कि बेशक रख-रखाव के लिए अलग से बजट निर्धारित नहीं किया गया है, लेकिन सोसायटी के पास इतने फंड की व्यवस्था है कि वह इनका रख-रखाव कर सकती है। लोग बारिश के मौसम में भी कसरत कर सकें, इसके लिए शीघ्र ही जिमों पर शेड भी बनवाए जा रहे हैं। इसके साथ ही पार्क में मधुर संगीत चलता रहे, इसकी भी व्यवस्था की जा रही है।
अनोखा ईमानदार किताब घर खोला
साहित्य प्रेमी कहानीकार गुरसेवक ¨सह प्रीत को यहां पर सैर करते हुए एक दिन ईमानदार किताब घर खोलने का ख्याल आया। उनके अनुसार साहित्य पढ़ने वाले अनेक लोगों के घर पर बड़ी संख्या में पुस्तकें पड़ी हैं, जोकि वह पढ़ चुके हैं और अब उन्हें दीमक ही खा रहे है। ऐसे ही घर पर मैगजीन पड़े हैं। यह ख्याल आते ही उन्होंने अपने स्तर पर पार्क में खुले में पुस्तकें रखने के लिए व्यवस्था कर दस पुस्तकें एवं दर्जनों मैगजीन रख दिए। उन्होंने अन्य लेखकों व साहित्य प्रेमियों से तालमेल किया तो वह भी बड़ी संख्या में पुस्तकें उन तक पहुंचाने लगे। प्रीत बताते हैं कि यहां पर हर रोज पंद्रह पुस्तकें रखी जाती हैं, जोकि लोग पढ़ने के लिए लेकर जा रहे हैं। अब तक चार सौ पुस्तकें लोग लेकर जा चुके हैं। पुस्तक वापस करने की कोई शर्त नहीं है। वह चाहे तो रख सकता है और चाहे तो पढ़ने के बाद वापस रखकर जा सकता है। अभी तक कोई पुस्तक वापस नहीं आई है। प्रीत बताते हैं कि इस लाइब्रेरी के लिए उनके पास काफी लेखकों व साहित्य प्रेमियों की ओर से बड़ी संख्या में किताबें आ रही हैं।