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ग्राउंड रिपोर्ट

सुभाष चंद्र, श्री मुक्तसर साहिब श्री मुक्तसर साहिब विधानसभा हलके के इतिहास में पहली बार चतुष्क

By Edited By: Published: Tue, 24 Jan 2017 02:59 AM (IST)Updated: Tue, 24 Jan 2017 02:59 AM (IST)
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सुभाष चंद्र, श्री मुक्तसर साहिब

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श्री मुक्तसर साहिब विधानसभा हलके के इतिहास में पहली बार चतुष्कोणीय मुकाबला होने जा रहा है। त्रिकोणीय मुकाबला तो यह हलका पहले भी वर्ष 2002 और वर्ष 2007 में देख चुका हैं, लेकिन चतुष्कोणीय मुकाबले की पंक्तियां इतिहास में पहली बार लिखी जाएंगी। हालांकि विस चुनाव की तिथि और उसके बाद विभिन्न प्रत्याशियों की घोषणा के साथ ही चतुष्कोणीय मुकाबले की तस्वीर स्पष्ट हो गई थी, लेकिन नामांकन पत्रों की वापसी के बाद यह पूरी तरह साफ हो गई है।

शिअद-भाजपा के कंवरजीत ¨सह रोजी बरकंदी, कांग्रेस की करण कौर बराड़ और आप के जगदीप ¨सह काका बराड़ के अलावा शिअद के बागी पूर्व विधायक सुखदर्शन ¨सह मराड़ ने चुनावी रण में कूदकर इस मुकाबले को न सिर्फ चतुष्कोणीय और रोचक बना दिया है, बल्कि अन्य प्रत्याशियों की धड़कने भी बढ़ा दी हैं। मराड़ सबसे अधिक नुकसान शिअद प्रत्याशी को पहुंचाते दिख रहे हैं।

मुद्दा

राज्य के उपमुख्यमंत्री सुखबीर ¨सह बादल की ओर से तीन वर्ष पहले नींवपत्थर रखने के बावजूद शहर के जलालाबाद रेलवे फाटक पर ओवरब्रिज का निर्माण न हो पाने के कारण शहरवासी काफी निराश हैं। पिछले पांच वर्ष के कार्यकाल में बेशक शहर की सड़कों, गलियों, नालियों एवं स्ट्रीट लाइट का काफी सुधार हुआ, लेकिन पीने के पानी की सप्लाई और गंदे तथा बारिश के पानी की निकासी की समस्या अभी भी दूर नहीं हो पाई है। बिल्कुल ऐसी ही स्थिति हलके के गांवों की बनी हुई है।

प्रचार

शिअद प्रत्याशी के पक्ष में अब तक बेशक मुख्यमंत्री या उप मुख्यमंत्री नहीं पहुंच पाए, लेकिन केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल एक दिन के लिए प्रचार कर चुकी हैं। आप प्रत्याशी के पक्ष में भगवंत मान से लेकर अर¨वद केजरीवाल तक प्रचार कर चुके हैं। कांग्रेस प्रत्याशी करण बराड़ के लिए अभी तक कोई भी राज्य स्तरीय बड़ा नेता प्रचार के लिए नहीं पहुंच पाया है।

कंवरजीत रोजी बरकंदी की मजबूती

1. शिअद अध्यक्ष एवं उप मुख्यमंत्री सुखबीर ¨सह बादल के साथ नजदीकी।

2. शहर व गांवों में सड़कों, गलियों, नालियों जैसे विभिन्न विकास कार्य कराना।

बरकंदी को चुनौती

1. शिअद के बागी सुखदर्शन मराड़ का चुनाव मैदान में होना।

2. अनेक अकाली कार्यकर्ताओं का मराड़ के साथ चले जाना।

3. विभिन्न आपराधिक घटनाओं के आरोपियों को संरक्षण के आरोप।

4. राज्य सरकार विरोधी लहर। रेत, बजरी, नशे आदि का मुद्दा।

करण कौर बराड़ की मजबूती

1. पूर्व मुख्यमंत्री हरचरण बराड़ के परिवार से होना।

2. पूरे परिवार की पूरी तरह से साफ छवि का होना।

3. अपने परिवार में से सबसे अधिक सक्रिय रहना।

करण बराड़ को चुनौती

1. इतने बड़े परिवार के बावजूद अन्य किसी सदस्य का सक्रिय न होना।

2. मंडी बरीवाला क्षेत्र में शिअद बागी प्रत्याशी का भी मजबूत आधार होना।

जगदीप बराड़ की मजबूती

1. आप की थोड़ी बहुत क्षेत्र में हवा होना।

2. साफ छवि का होना।

जगदीप बराड़ को चुनौती

1. पूरी तरह से लोगों के साथ संपर्क न साध पाना।

2. शहर के नामवर किसी बड़े चेहरे का साथ न होना।

सुखदर्शन मराड़ की मजबूती

1. क्षेत्र के दिग्गज और निडर नेता के रूप में छवि।

2. शहर के काफी पुराने लोगों का उनके साथ चलना।

मराड़ को चुनौती

1. कई बार पार्टियां बदलने का धब्बा

2. देरी के साथ चुनाव मैदान में उतरना।

इतिहास

2012-करण कौर बराड़ (कांग्रेस)

2007-कंवरजीत ¨सह बराड़ (कांग्रेस)

2002-सुखदर्शन ¨सह मराड़ (आजाद)

1997-भाई हरनिरपाल ¨सह कुक्कू

1992-हरचरण ¨सह बराड़ (कांग्रेस)

1985-गुर¨बदर कौर (कांग्रेस)

1980-हरचंद ¨सह (शिअद)

1977-कंवरजीत ¨सह बराड़ (कांग्रेस) ।


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