विधायक जैन, उनके मेयर पुत्र समेत परिवार के चार सदस्य बरी
जागरण न्यूज नेटवर्क, मोगा अवैध कॉलोनी विकसित करने के मामले में निचली अदालत द्वारा शिअद के विधायक ज
जागरण न्यूज नेटवर्क, मोगा
अवैध कॉलोनी विकसित करने के मामले में निचली अदालत द्वारा शिअद के विधायक जोगिंदर पाल जैन, उनके मेयर बेटे, पत्नी व बेटी को दी एक साल की सजा के मामले में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की अदालत ने उक्त सभी को बरी कर दिया है।
गौरतलब है कि थाना मैहना द्वारा 26 अगस्त, 2007 को अवैध कॉलोनी विकसित करने के मामले में विधायक जोगिंदर पाल जैन, उनकी धर्मपत्नी स्वर्ण लता जैन, बेटी रोहिणी व बेटे पुनीत तथा अक्षित के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। मामले की सुनवाई के दौरान जैन के बेटे पुनीत को अदालत से गैर हाजिर रहने के चलते भगोड़ा करार दे दिया गया था। जबकि स्थानीय अदालत ने 2 जून, 2014 को विधायक जोगिंदर पाल जैन व उसके परिवार के अन्य सदस्यों को एक-एक साल की सजा सुनाई थी। इस पर विधायक जैन ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की अदालत में वकील के जरिये 13 जून, 2014 को याचिका लगाकर फैसले के विरोध में अपील दायर की थी ।
इस दौरान विधायक के वकील अनीषकांत शर्मा व शिवचरण सिंह गिल ने अदालत को बताया कि विधायक ने पुडा विभाग की बनती राशि 9,84,925 जमा करवा दिए थे। इसके बाद पुडा विभाग ने 5 जनवरी, 2015 को विधायक के पक्ष में एनओसी जारी करते हुए मोगा के सरकारी वकील को पत्र जारी करते हुए विधायक व पुडा विभाग में हुए समझौते संबधी लिखा था।
जिस पर अदालत द्वारा ग्लाडा के समर्थ अधिकारी को अदालत में पेश होकर अपना पक्ष रखने के लिए कहा था। इसी के चलते ग्लाडा के एडिशनल चीफ एडमिनिस्ट्रेटर कुलदीप सिंह ने बुधवार को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश गुरजंट सिंह की अदालत में पेश होकर अपना पक्ष रखा। जिस पर अदालत ने ग्लाडा अधिकारी के पक्ष से सहमत होते हुए जोगिंदरपाल जैन, उनके बेटे मेयर अक्षित जैन, पत्नी स्वर्णलता जैन व बेटी रोहणी जैन को बरी करने का फैसला सुनाया है।
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राजनीति से प्रेरित था मामला : जैन
मोगा से शिअद विधायक जोगिंदरपाल जैन व नगर निगम के मेयर अक्षित जैन ने उनके समेत परिवार के सदस्यों को बरी करने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उक्त मामला उनके खिलाफ राजनीति से प्रेरित था। मामला दर्ज होने के बाद उनको न्यायालय पर पूरा भरोसा था। जिसके चलते आज उनका भरोसा न्यायालय पर और बढ़ गया है, जब अदालत ने उनको बरी कर दिया। वहीं इससे उनके खिलाफ केस दर्ज करवाने वालों राजनैतिक विरोधियों को मुंह की खानी पड़ी है।