नर्क चतुर्दशी को यमराज के लिए करें दीपदान
जागरण संवाददाता, मानसा दीपावली पर्व के ठीक एक दिन पहले मनाई जाने वाली नर्क चतुर्दशी को छोटी दि
जागरण संवाददाता, मानसा
दीपावली पर्व के ठीक एक दिन पहले मनाई जाने वाली नर्क चतुर्दशी को छोटी दिवाली, रूप चौदस अथवा काली चतुर्दशी भी कहा जाता है। मान्यता है कि कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के विधिविधान से पूजा करने वाले व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है।
सनातन धर्म प्रचारक पंडित पूरन चंद्र जोशी ने बताया कि इसी दिन शाम को दीपदान की प्रथा है जिसे यमराज के लिए किया जाता है। इस पर्व का जो महत्व है उस दृष्टि से भी यह काफी महत्वपूर्ण त्योहार है। यह पाच पर्वो की शृंखला के मध्य में रहने वाला त्योहार है। दीपावली से दो दिन पहले धनतेरस फिर नरक चतुर्दशी या छोटी दीपावली। इसे छोटी दीपावली इसलिए कहा जाता है, क्योंकि दीपावली से एक दिन पहले रात के वक्त दीपावली की रात की तरह ही दीये की रोशनी से रात के तिमिर को प्रकाश पुंज से दूर भगा दिया जाता है। उनके अनुसार इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर तेल लगाकर और पानी में चिरचिरी के पत्ते डालकर उससे स्नान करके विष्णु मंदिर और कृष्ण मंदिर में भगवान का दर्शन करना करना चाहिए। इससे पाप कटता है और रूप सौंदर्य की प्राप्ति होती है। कई घरों में इस दिन रात को घर का सबसे बुजुर्ग सदस्य एक दीया जला कर पूरे घर में घुमाता है और फिर उसे लेकर घर से बाहर कहीं दूर रख कर आता है। घर के अन्य सदस्य अंदर रहते हैं और इस दीये को नहीं देखते। यह दीया यम का दीया कहलाता है। माना जाता है कि पूरे घर में इसे घुमा कर बाहर ले जाने से सभी बुराइया और कथित बुरी शक्तिया घर से बाहर चली जाती हैं।