गुरू रविदास की वाणी भाईचारे व सद्भावना का प्रतीक : लाली
संस, लुधियाना जातिवाद, कट्टरवाद, छुआछूत और असमानता वाली व्यवस्था में जकड़े भारत को आ
संस, लुधियाना
जातिवाद, कट्टरवाद, छुआछूत और असमानता वाली व्यवस्था में जकड़े भारत को आधुनिक भारत में तबदील करने के लिए गुरू रविदास की क्रांतिकारी वाणी अहम भूमिका निभा रही है। गुरु की वाणी जहां पर आपसी भाईचारे व सद्भावना का प्रतीक है। अगर हम मन से गुरू की विचारधारा पर अमल करें तो मारा जीवन सफल हो सकता है। उक्त विचार रमनजीत लाली ने बुधवार को अनेक गुरू घरों में गुरू रविदास के 640वें प्रकाश दिवस को समर्पित आयोजित धार्मिक समारोहों में गुरू रविदास नामलेवा संगत को गुरु जी के बताए मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हुए व्यक्त किए। इस अवसर पर प्रबंधकों ने लाली व उनके साथ आए गणमान्यों का सिरोपे व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। इस अवसर पर बंटी सूद, हीरा लाल प्रधान, मुकेश मेहमी, विक्रमजीत सिंह, दिलबाग राय भोला, जसवीर, जसवीर पाल, रणजीत कलसी, गुरमेल मेहमी, सुरेंद्र शोंकी, बावा बंगा, देबी चंद, हरबंस लाल, मलकीत सिंह, ज्ञान सिंह आदि भी मौजूद थे।