भगवान श्री कृष्ण लीलाओं प्रसंग से किया अभिभूत
संस, लुधियाना प्रभु की लीलाओं को आप सामान्य खेल नही, बल्कि दिव्य खेल कह सकते हैं। जिस समय
संस, लुधियाना
प्रभु की लीलाओं को आप सामान्य खेल नही, बल्कि दिव्य खेल कह सकते हैं। जिस समय जिस पात्र का रूप धारण व्यक्ति लीला करता है उस समय समाज के द्वारा वह व्यक्ति उसी पात्र के रूप में देखा और समझा जाता है। यह प्रसंग दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा श्री राधा रमन मंदिर में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दौरान पेश किया गया। साध्वी भाग्यश्री भारती ने भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं का वर्णन करते हुए कहा कि लीला शब्द के वास्तविक अर्थ के बारे में बताया। समान्यत: लोक में अपने वास्तविक स्वरूप को छिपा समाज को किसी अन्य नाम रूप कर्माे का बोध कराने की भगवान की इस प्रक्रिया को लीला कहते है। इस सृष्टि को भोग्य पदार्थों में न फंस कर सृष्टि के कण-कण में विराजमान इस परमात्मा को प्राप्त करो जो आप के भीतर है। इस अवसर पर साध्वी पुष्पभद्रा भारती, साध्वी जगदीशा भारती , साध्वी भगवती भारती, साध्वी रेनू भारती ने भजनों से समां बांधा।