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मानव जीवन का परम लक्ष्य परमात्मा की प्राप्ति: विशोकानंद

संस, लुधियाना धन से धर्म का आगाज होता है लेकिन इसको सही स्थान पर लगाने से धन में वृद्धि

By JagranEdited By: Published: Wed, 22 Feb 2017 06:27 PM (IST)Updated: Wed, 22 Feb 2017 06:27 PM (IST)
मानव जीवन का परम लक्ष्य परमात्मा की प्राप्ति: विशोकानंद
मानव जीवन का परम लक्ष्य परमात्मा की प्राप्ति: विशोकानंद

संस, लुधियाना

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धन से धर्म का आगाज होता है लेकिन इसको सही स्थान पर लगाने से धन में वृद्धि होती है। जो धर्म की रक्षा करता है, धर्म उसकी रक्षा करता है। धर्म की रक्षा करने से अभिप्राय है कि सत्य बोलना, परोपकार करना और सेवा करना। यह पंक्तियां श्री रामलीला दरेसी मैदान में चल रहे 40वें संत सम्मेलन में महामंडलेश्वर विशोकानंद ने व्यक्त किए। महामंडलेश्वर स्वामी प्रेमानंद पुरी ने कहा कि प्रिय वचन बोलने वाला शत्रु को भी मित्र बना लेता है लेकिन कटु वचन बोलने वाला अपने मित्र को भी शत्रु बना लेता है। हरि ओम काका ने कहा कि मानव जीवन का परम लक्ष्य परमात्मा की प्राप्ति है उसके लिए सत्संग की परम आवश्यकता है जो संतों की कृपा से प्राप्त होता है। सत्संग श्रवण के वाद, मनन और निधिध्यासन कर हम अपनी मंजिल तक पहुंच सकते हैं। स्वामी वेद भारती ने कहा कि परमात्मा का नाम लेने से परम शांति मिलती है, लेकिन यदि हम भौतिक पदार्थो की इच्छा करेंगे तो उनके चरणों में जो प्रभु नाम अमृत है उससे वंचित रह जाएंगे। अत: महापुरुषों के पास जाकर केवल प्रभु चर्चा करो, व्यर्थ बाते न करो। इस दौरान साध्वी मुक्ता, साध्वी अमिता भारती, साध्वी चैतन्या, साध्वी सुगीता, साध्वी सुकीर्ति, साध्वी, सुमेधा, आंचल, गुरु प्रिया, पुष्पा आदि ने भजनों के माध्यम से समां बांधा।


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