कोरोना में विश्व ने भारतीय संस्कृति को स्वीकारा : पंचानंद
मौजूदा समय दौरान चल रहे कोरोना के महा संकट में पूरे विश्व भर ने भारत की संस्कृति और पद्धति को माना ।
संस, जगराओं : मौजूदा समय दौरान चल रहे कोरोना के महा संकट में पूरे विश्व भर ने भारत की संस्कृति और पद्धति को माना । अपने आप को दुनिया की महाशक्ति कहलाने वाले बड़े-बड़े देशों ने महामृत्युंजय के पाठ कर इस महामारी से बचने और अपने देश के लोगों को बचाने के लिए गुरु के आगे नतमस्तक हुए । यह कहना है जूना अखाड़ा के मुखी जगतगुरु पंचानंद गिरी का। वह जगराओं में शिवाला मंदिर पहुंचे थे।
उन्होंने कहा कि भले ही पूरी दुनिया में कोरोना वायरस को खत्म करने के लिए सभी देश दबाएं और वैक्सीन ढूंढ रहे हैं लेकिन ग्रह दशा इस समय ऐसी है कि कोरोना की महामारी और विकराल रूप लेगी। इसके अलावा विश्व भर में अन्य प्रकार की कई कुदरती संकट भी आएंगे। दुनिया को ऐसे संकटों से बचाने के लिए देशभर में संत महापुरुष यज्ञ और पाठ कर रहे हैं ताकि भगवान इस महामारी से दुनिया को निजात दिला दें।
पंचानंद ने कहा कि आने वाले समय में महामृत्युंजय के सामूहिक तौर पर एक करोड़ पाठ किए जाएंगे । इसके अलावा लगातार पाठ पूजा और यज्ञ सभी महापुरुषों द्वारा किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि संकट में घबराने की जरूरत नहीं है बल्कि इसका सामना करने की जरूरत है। दुनिया भले ही इसका उपचार ढूंढ रही है लेकिन आयुर्वेद पद्धति में हमारे पास ऐसी बहुत सी दवा है जो इस महामारी को कंट्रोल करने और खत्म करने की क्षमता रखती है।
उन्होंने कहा की भारत दुनिया की सबसे बड़ी महाशक्ति बनने की कगार पर है और हम अपनी क्षमता से सभी मुसीबतों का सामना करने की ताकत रखते हैं। कोरोना काल में सभी लोगों को चाहिए कि वह अपनी मेहनत की कमाई से जितना भी हो सकता है उतना पुण्य करें ताकि ऐसे में कोई भी भूखा ना रह सके। इसी के साथ उन्होंने यह भी कहा ऐसे में जो लोग पुण्य करने की बजाय अभी भी भ्रष्टाचार करने की सोच रखते हैं उन्हें भगवान कभी भी बख्शते नहीं हैं। इस मौके महामंडलेश्वर सत्यानंद गिरी जी और संत महेश गिरी आदि मौजूद रहे।