डिफाल्टर किसानों को केंद्रीय पैकेज में नहीं मिलेगा कर्ज
माछीवाड़ा साहिब प्रधानमंत्री नरिदर मोदी द्वारा कोरोना महामारी कारण प्रत्येक वर्ग को आर्थिक सहायता देने के लिए 20 लाख करोड़ रुपए का राहत पैकेज घोषित किया है जिस में देश के करोड़ों किसान जो बैंकों के पहले डिफालटर हैं उन को धेला नहीं मिलेगा जबकि कर्ज सही ढंग से लौटाने वाले किसानों को भी कोई ज्यादा लाभ नहीं है।
जेएनएन, श्री माछीवाड़ा साहिब
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कोरोना महामारी के कारण प्रत्येक वर्ग को आर्थिक सहायता देने के लिए 20 लाख करोड़ रुपये का राहत पैकेज घोषित किया है। मगर, इसमें जहां बैंकों से घोषित डिफाल्टर किसानों के लिए कुछ नहीं है। वहीं कर्ज सही ढंग से लौटाने वाले किसानों को भी कोई ज्यादा राहत नहीं है।
इस बारे में सांसद रवनीत सिंह बिट्टू का कहना है कि कोरोना महामारी में सबसे बड़ा आर्थिक नुकसान गरीब, मध्यम वर्ग और किसानी का हुआ है। मगर, केंद्र द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ रुपये का पैकेज केवल सरमाएदारों के लिए है। प्रधानमंत्री मोदी को किसानों की नहीं बल्कि सरमायदारों की चिता है। गरीब लोगों के लिए जिस तरह मोदी का 15 लाख रुपये खाते में देना जुमला साबित हुआ है, उसी तरह 20 लाख करोड़ रुपये का पैकेज भी गरीबों और किसानों के लिए एक जुमला है। जिसमें इन दोनों को कुछ नहीं मिलना है। पंजाब के किसान देश के लोगों का पेट भरते हैं और आज उसके हालात यह हैं कि वह कर्ज के कारण आत्महत्या कर रहा है। इसलिए यदि केंद्र सरकार किसानों को राहत देना चाहती है, तो वह किसानों का सारा कर्ज माफ करे।
बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा बैंकों को कोरोना महामारी के आर्थिक पैकेज में किसानों की वित्तीय हालत को मजबूत करने के लिए जो दिशा-निर्देश आए हैं, उसमें स्पष्ट है कि जिन किसानों ने पहले कर्ज नहीं लौटाया है और डिफाल्टर घोषित हैं, उन्हें इस पैकेज के अंतर्गत और कर्ज नहीं दिया जाएगा।
दूसरी तरफ पंजाब के हालात यह हैं कि राज्य के 60 प्रतिशत से अधिक किसानों की बैंकों के कर्ज के कारण सभी जमीनें बैंकों के पास गिरवी पड़ीं हैं और खेती घाटे वाला धंधा होने के कारण वह यह कर्ज न लौटाने कारण डिफाल्टर सूची में शामिल हैं। ऐसे किसानों को 20 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज में से कुछ मिलना न पूरा होने वाला स्वप्न है।
इसके अलावा जिन किसानों ने बैंकों का कर्ज पाबंद समय में लौटाया है और वे डिफाल्टर सूची में शामिल नहीं हैं, उन्हें पहले चुकाए कर्जे का 10 प्रतिशत और कर्ज दिया जाएगा। जिस का ब्याज भी वसूला जाएगा। इसलिए ऐसे किसानों द्वारा ओर कर्ज उठाने में कम ही रुचि दिखाई जा रही है।
--------
सहकारी बैंकों व कृषि सभाओं को कोई राहत नहीं
दूसरी तरफ पंजाब के 95 प्रतिशत किसान ऐसे हैं, जो सहकारी बैंकों और कृषि सभाओं से जुड़े हुए हैं। जिन्होंने अपनी फसल के लिए कर्ज उठाया है। हैरानी की बात है कि पंजाब के किसी भी सहकारी बैंक या कृषि सभा के पास कोई निर्देश नहीं आए हैं, जिसके अंतर्गत किसानों को इस 20 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज में से आर्थिक सहायता मिलने की आशा हो।