राम और कृष्ण के लिए रो रहा पाकिस्तान का अब्दुल, दर्द जान आपके भी छलक पड़ेंगे आंसू...
अब्दुल के अनुसार बहिलोलपुर शताबगढ़ फतेहगढ़ गढ़ी और अन्य कई गांवों में उनके दोस्त रहते थे। वह पूछते हैं- अब मेरे यार कहां हैंं?
जेएनएन, समराला (लुधियाना)। वर्ष 1947 में देश के बंटवारे के बाद पाकिस्तान गए लोगों के दिलों मे आज भी अपने गांवों में बिताए पलों की याद ताजा है। वह उन प्यार भरे लम्हों को याद कर रो पड़ते हैं। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ है। इस वीडियो में पाक नागरिक अब्दुल गफूर अपनी दास्तां बता रहा है।
पाकिस्तान के एक वेब चैनल को दिए इंटरव्यू बुर्जुग अब्दुल फूट-फूट कर रो रहा है और अपने दोस्तों राम और कृष्ण को याद कर रहा है। वह बंटवारे से पहले जिला लुधियाना के समराला से 15 किलोमीटर दूर शेरपुर बेट में रहता था। वीडियो में अब्दुल ने बताया कि वह आज भी अपने दोस्मों दोस्तों कृष्ण, रामू, गंगा राम, मथरा, लक्खा, जोध सिंह और अन्य को भी याद करता रहा है।
शेरपुर बेट निवासी मंगत राम कालड़ा ने बताया कि अब्दुल गफूर अपने जिन दोस्तों की बात कर रहा है, उनमें से ज्यादातर का निधन हो चुका है। उनके परिवार वीडियो को देखकर काफी भावुक हैं। गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि अब्दुल गफूर के पिता मक्खन खां का गांव में बड़ा घराना था।
कहां हैं मेरे बचपन के यार?
अब्दुल गफूर की उम्र इस समय 95 साल के आसपास है। अब्दुल के अनुसार बहिलोलपुर, शताबगढ़, फतेहगढ़, गढ़ी और अन्य कई गांवों में उनके दोस्त रहते थे। वह पूछते हैं- अब मेरे यार कहां हैंं? उनके गावों में कुश्तियों के अलावा बाजी डालने का चलन था। गांव में मुसलमानों के अलावा हिंदू, सिख और कुछ अन्य जाति-धर्म के परिवार भी रहते थे और उनमें भाईचारा कायम था। बंटवारे के समय वह गांव में ईटों के भट्ठे के अलावा गांव के छप्पर के पास घर को छोड़कर अपने 45 से ज्यादा पशु साथ लेकर रात को लुधियाना कैंप में पहुंचे थे।
बंटवारे के बवंडर ने सब छीन लिया
उन दिनों को याद करते हुए अब्दुल ने कहा कि वर्ष 1947 का बंटवारा उन्हें आज तक साल रहा है। बंटवारे के समय कोटाला गांव में कत्लेआम हुआ था, उन्हें वह आज भी याद है। अब्दुल कहते हैं, जब इस घटना को वे याद करते हैं तो उनके रोंगटे खड़े हो जाते हैं। अगर उस समय फौज न आती तो कत्ल-ए-आम और बढ़ जाना था। बंटवारे के बवंडर ने उनका सबकुछ छीन लिया।
भूखे पेट पहुंचे थे लाहौर
अब्दुल गफूर ने बताया वह बचते-बचाते अपने रिश्तेदार संजोल खान के पास पहुंचे, जिन्होंने उन्हेंं अमृतसर पहुंचाया और वहां से उन्होंने अपने परिवार व बच्चों के साथ भूखे-प्यासे लाहौर की ट्रेन में बैठकर रवाना किया। बंटवारे के समय वह गांव के प्राइमरी स्कूल मे पढ़ रहे थे, लेकिन मजबूर होकर अपना गांव शेरपुर छोड़ पाकिस्तान जाना पड़ा।
अल्लाह से गुजारिश है, अंतिम बार दोस्तों से मिलने का मौका दे
वायरल वीडियो में अब्दुल गफूर कह रहे हैं कि अल्लाह से गुजारिश है कि अंतिम बार उन्हें भारत आने का मौका दे, ताकि वह अपने गांव शेरपुर आकर अपने दोस्तों और उनके परिवार वालों से मिल सके। मैं देखना चाहता हूं कि अब हमारा गांव कैसा है।
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