दसवीं पास ने कंबाइन से बनाई मक्का काटने की मशीन
प्रदीप कुमार ¨सह, फिरोजपुर आधुनिक तकनीक से व्यवसायिक फसलों की खेती करने वाले फिरोजपुर के गांव धीरा
प्रदीप कुमार ¨सह, फिरोजपुर
आधुनिक तकनीक से व्यवसायिक फसलों की खेती करने वाले फिरोजपुर के गांव धीरा पतरा निवासी 50 वर्षीय किसान बोहड़ ¨सह भूल्लर ने खेती वाले यंत्रों से तालमेल करके गेहूं, धान काटने वाली कंबाइन को मक्के की फसल काटने वाली मशीन में बदल दिया है। दसवीं पास किसान ने कंबाइन पर पांच हजार रुपये अतिरिक्त खर्च कर नई उसे मक्का काटने वाली मशीन में बदल दिया। इस मशीन से जिस काम में पहले किसानों के कई दिन लगते थे वह काम कुछ घंटों में हो जाता है।
बोहड़ ¨सह ने बताया कि वह 20 एकड़ खेती के मालिक हैं। हर बार वह मक्के की फसल की बिजाई करते हैं, इस बार भी उन्होंने 5 एकड़ में मक्के की बिजाई की थी। मक्के की फसल तैयार होने पर उसकी खेत में मजदूरों से कटाई, फिर उसकी ढुलाई, उसके बाद उसे सूखाकर दूसरी मशीन से दानों को अलग करने में 15 दिन का समय लग जाता था। इस पर प्रति एकड़ औसतन लागत 4500 रुपये आ जाती थी, जिसका असर फसल पर लागत बढ़ने के रूप में सामने आता था। 15 दिनों के लगने वाले व्यर्थ के समय व मजदूरों की किल्लत से वह बहुत परेशान रहते थे, जिसके बाद उन्होंने सोचा की कि क्यों न कंबाइन में ही अपना दिमाग लगाकर इसे मक्के की कटाई के लिए तैयार किए जाए। इसके लिए उन्होंने ट्राली के डाले व कुछ अन्य यंत्रों को जोड़कर एक बाक्स सा बना दिया, जिसके अंदर पौधे मक्के की बालियां तोड़कर डालने पर मशीन दानों को निकालकर अलग कर देती है और पौधों को अलग। उनकी यह तकनीक कारगर हुई।
सिर्फ पांच हजार रुपये आई लागत
बोहड़ सिंह ने बताया कि हालांकि कंपनियां भी कंबाइन को इस रूप में तब्दील कर देती हैं, जिसकी कीमत डेढ़ से दो लाख है, परंतु उन्होंने घरेलू उपकरणों को जोड़कर पांच हजार रुपये में ही इसे तैयार कर लिया। मशीन डेढ़ घंटे में एक एकड़ मक्के की फसल की कटाई हो जाती है, जिस पर कुल लागत 1500 से 1800 रुपये के मध्य आती है, जबकि मजदूरों से कटवाने पर 4000 से 4500 रुपये के मध्य खर्चा आता है। उनकी इस तरकीब को देख दूसरे किसान भी उनसे अपनी फसल किराए पर काटने के लिए कह रहे हैं, जिससे यह तरकीव उनकी आय का जरिया भी बन गई। उन्होंने बताया कि उनका पूरा ध्यान इस बात में हमेशा लगा रहता है कि किस तरह से ट्रैक्टर व कंबाइन का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग कृषि में किया जाए, वह पहले भी इसी तरह के कई प्रयोग कर चुके हैं।