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आर्थिक तंगी के चलते एडल्ट वैक्सीनेशन से कतराते हैं बुजुर्ग

जागरण संवाददाता, लुधियाना उम्र के आखिरी पड़ाव में आने के बाद डायबिटीज टाइप टू से पीड़ित मरीज आर्थिक

By JagranEdited By: Published: Mon, 29 May 2017 07:52 PM (IST)Updated: Mon, 29 May 2017 07:52 PM (IST)
आर्थिक तंगी के चलते एडल्ट वैक्सीनेशन से कतराते हैं बुजुर्ग
आर्थिक तंगी के चलते एडल्ट वैक्सीनेशन से कतराते हैं बुजुर्ग

जागरण संवाददाता, लुधियाना

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उम्र के आखिरी पड़ाव में आने के बाद डायबिटीज टाइप टू से पीड़ित मरीज आर्थिक तंगी की वजह से वैक्सीनेशन करवाने से कतराते हैं। ये खुलासा हुआ है क्रिश्चन मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल के डिपार्टमेंट ऑफ मेडिसन एंडाक्रियोलॉजी यूनिट की एमबीबीएस स्टूडेंट क्रिस्टीना जिनीव की शोध में। क्रिस्टीना ने टाइप टू के मरीजों में टीकाकरण की स्थिति के ज्ञान व श्वास की बीमारी के विरुद्ध टीकाकरण की जागरूकता पता लगाने के लिए यह शोध किया है।

शोध ओपीडी में आने वाले डाइबिटीज टू से पीड़ित 149 मरीजों पर किया गया। शोध की शुरुआत में सभी मरीजों को चार सवालों पर आधारित एक प्रोफार्मा दिया गया। पहले सवाल में मरीजों से पूछा गया कि उन्हें फेफड़े संबंधी पुराने रोग, हृदय रोग, किडनी रोग, अस्थमा जैसे रोग तो नहीं हैं।

दूसरा सवाल था न्यूमोकोकल (निमोनिया) से बचाव के लिए टीकाकरण करवाया है या नहीं या उन्हें टीकाकरण की जानकारी है या नहीं। तीसरे में मरीजों से टीकाकरण न करवाने का कारण बताने को कहा गया। अंतिम चरण में मरीजों को बताया गया कि 50 वर्ष की आयु के किन-किन कारणों से निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है। एक महीने बाद सभी मरीजों को बुलाकर उनके प्रोफार्मा लिए गए। जिसमें हैरानी जनक तथ्य सामने आए।

क्रिस्टीना के अनुसार 51 प्रतिशत मरीजों ने जवाब दिया कि उन्हें एडल्ट वैक्सीनेशन के बारे में जानकारी है, लेकिन आर्थिक तंगी की वजह से वह वैक्सीनेशन नहीं करवाते। जबकि 21 प्रतिशत मरीजों ने कहा कि उन्हें सुई से डर लगता है, इसलिए वह वैक्सीनेशन नहीं करवाते है। जबकि अन्य मरीजों ने कहा कि उन्हें वैक्सीनेशन के फायदों के बारे में मालूम है और वह बाद में वैक्सीनेशन करवा लेंगे। वहीं पांच प्रतिशत मरीजों ने प्रोफार्मा भरने के बाद वैक्सीन लगवाई।

टीकाकरण कर बचें न्यूमोकोकल जैसी बीमारियों से

क्रिस्टीना जिनीव ने कहा कि डाइबिटीज टू के मरीज के शरीर में इम्यूनिटी कम होने से न्यूमोकोकल बीमारियां विकसित होने का खतरा रहता है। 50 व इससे अधिक उम्र के लोगों व ऐसे लोग जिन्हें फेफड़ों, हृदय रोग, गुर्दे की बीमारी की शिकायत हो, उनमें इस बीमारी और इसकी जटिलताएं उत्पन्न होने का खतरा ज्यादा रहता है। न्यूमोकोकल जीवाणु खांसने व छींकने या सीधे संपर्क में आने से फैलती है। प्रत्येक वर्ष न्यूमोकोकल बीमारी के कारण दुनिया भर में करीब 16 लाख से अधिक रोगी दम तोड़ जाते है। मरीज डॉक्टरी परामर्श से इंफलुएंजा वैक्सीनेशन करवाकर न्यूमोकोकल के खतरे को कम कर सकते हैं मार्केट में सात सौ से एक हजार रुपये के बीच में इसका टीका उपलब्ध है।


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