बाल मजदूरों को ढूंढने पहुंची टीम को फैक्टरी मालिक ने बनाया बंधक
फैक्टरी में बाल मजदूरों को ढूंढने गई टीम को फैक्टरी मालिक ने बंधक बना दिया। बाद में अन्य फैक्टरी मालिकों द्वारा समझाने पर उसने उन्हें छोड़ा।
जेएनएन, लुधियाना। बाल मजदूरी के खिलाफ चलाए चेकिंग अभियान के तहत फोकल प्वाइंट इलाके में पहुंची जिला टास्कफोर्स खुद ही मुसीबत में फंस गई। फैक्टरी मालिक ने बिना इजाजत परिसर में घुसने का आरोप लगाते हुए टीम में शामिल डिप्टी डायरेक्टर सहित 12 पुलिस कर्मियों को बंदी बना लिया। 35 मिनट तक चले इस ड्रामे का पटाक्षेप तब हुआ जब आसपास की इंडस्ट्री मालिकों ने गुस्साए फैक्टरी मालिक को समझा बुझा कर ताला खुलवाया। तब कहीं जाकर टीम बाहर निकल पाई। हालांकि इस दौरान फैक्टरी में एक भी बाल मजदूर नहीं मिला।
टीम को फर्जी बता मोबाइल से करता रहा रिकार्डिग
दरअसल एक्शन वीक के पांचवें दिन डिप्टी डायरेक्टर फैक्टरी जतिंदर सिंह भट्टी, सहायक डायरेक्टर फैक्टरी प्रदीप कुमार, मख्खन सिंह, लेबर इंस्पेक्टर कमलजीत सिंह, शिक्षा विभाग से रघुबीर सिंह, सेहत विभाग से डॉक्टर कर्ण सिंह, जिला बाल सुरक्षा यूनिट से संदीप पन्नू व बचपन बचाओ आंदोलन के स्टेट कोऑर्डिनेटर दिनेश कुमार 12 पुलिस कर्मियों सहित चेकिंग के लिए फोक्ल प्वाइंट के इस यूनिट में पहुंचे। इस दौरान फैक्टरी मालिक ने एतराज जताया और टीम को फर्जी बताते हुए फैक्टरी के मेन गेट पर अंदर से ताला लगवाकर टीम की वीडियोग्राफी करनी शुरू कर दी।
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डिप्टी डायरेक्टर फैक्टरी जतिंदर सिंह भट्टी का कहना है कि फैक्ट्री मालिक का आरोप था कि उसे चेकिंग की जानकारी क्यों नहीं दी गई। लगभग 35 मिनट तक उसने अंदर से ताला लगवाकर पूरी टीम को बंदी बना लिया। आसपास की इंडस्ट्री के मालिकों ने उसे समझाया तब जाकर वह ताला खोलने को राजी हुआ।पढ़ें : हॉस्टल में रूममेट ने छात्रा को इस हाल में देखा तो पैरों तले खिसक गई जमीन
बचपन बचाओ आंदोलन के स्टेट कोऑर्डिनेटर दिनेश कुमार ने कहा कि हमारे आइकार्ड चेक करने के बावजूद फैक्ट्री मालिक का गुस्सा ठंडा नहीं हुआ और मोबाइल से हमारी रिकार्डिग करता रहा। हमने उसे बताया कि इतने विभागों के अधिकारी, 12 पुलिस कर्मी व सरकारी गाडिय़ा फर्जी कैसे हो सकते हैं। मगर वह सुनने के लिए राजी ही नहीं था। 35 मिनट तक उसने हमें बंधक बनाए रखा।
एक भी बाल मजदूर नहीं ढूंढ पाई टीम
बाल मजदूरों को ढूंढने जिला टास्क फोर्स की दो टीमों ने 6 फैक्टियों समेत कई दुकानों पर चेकिंग की। दर्जन भर अधिकारी व डेढ़ दर्जन पुलिस कर्मी दिन भर की कसरत के बावजूद एक भी बाल मजदूर नहीं ढूंढ पाए। टीम ए छापामारी के लिए 11.30 बजे निकली जबकि टीम बी 12 बजे जगराओं के लिए रवाना हुई। दोनों टीमों ने देरी की वजह टीम में शामिल डॉक्टर के देरी से आने को बताया।
अधिकारियों का सहयोग कर रहे बचपन बचाओ आंदोलन के दिनेश कुमार ने आरोप लगाया कि नियम के अनुसार दोनों टीमों में वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों जिनका कम से कम तहसीलदार स्तर का शामिल होना जरूरी है। मगर किसी भी दिन प्रशासनिक अधिकारी चेकिंग के दौरान मौजूद नहीं रहे। नतीजा फैक्टरी मालिक द्वारा टीम को बंदी बनाने व दिन भर की कार्रवाई के बावजूद एक भी बाल मजदूर का मिलना हो रहा है।
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